नई दिल्ली। मंकीपॉक्स एक इंसान से दूसरे इंसान में एक-दूसरे की सांस ड्रॉप्लेट्स से फैलता है। हालांकि यह तभी संभव है, जब कोई दूसरा इंसान संक्रमित मरीज के साथ बहुत लंबे वक्त तक नजदीकी संपर्क में रहा हो। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मंकीपॉक्स का वायरस मरीज के शरीर के तरल पदार्थ या घाव के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। मरीज के इस्तेमाल किए गए कपड़ों के जरिए भी ये फैलता है। हालांकि, मंकीपॉक्स खास तौर पर एक जूनोटिक है, मतलब ऐसी बीमारी जो संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैलती है। अफ्रीका में इस बीमारी के फैलने की यही वजह रही, लेकिन भारत में मंकीपॉक्स के इस तरह फैलने की संभावना बेहद कम है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का क्या है कहना
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जानवरों से इंसान में मंकीपॉक्स संक्रमण केवल संक्रमित जानवरों के काटने, खरोंचने या जंगली जानवरों का मांस खाने से ही फैल सकता है. इनमें चूहे, गिलहरियां, बंदर जैसे जानवर शामिल हैं। दुनिया के कई देशों में धीरे-धीरे मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे लेकर पहले ही चिंता जता चुका है। इस बीच मंकीपॉक्स को लेकर एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
स्टडी में अबतक क्या कुछ आया सामने
अब तक के सबसे बड़े अध्ययन के मुताबिक मंकीपॉक्स के 95 फीसदी मामलों में यौन गतिविधि की वजह से संक्रमण देखा गया है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में गुरुवार को प्रकाशित ये शोध तब आया है जब WHO के विशेषज्ञों में वैश्विक इमरजेंसी को लेकर चर्चा हो रही है। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में नए शोध में 27 अप्रैल से 24 जून, 2022 के बीच 16 देशों में 528 मंकीपॉक्स संक्रमणों का अध्ययन किया गया।
मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर रिसर्च के लेखक जॉन थॉर्नहिल ने एक बयान में कहा इस बात पर जोर देना काफी अहम है कि मंकीपॉक्स पारंपरिक अर्थों में यौन संचारित संक्रमण नहीं है। किसी भी तरह के निकट शारीरिक संपर्क के जरिए संक्रमण हो सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि स्टडी से पता चलता है कि अब तक के अधिकांश संक्रमण यौन गतिविधि से संबंधित हैं। First Updated : Sunday, 24 July 2022