राजद के मंत्री का विकेट गिरा

बिहार में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में इस्तीफा का दौर शुरू हो गया है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राजद और जेडीयू के बीच बेहतर तालमेल बहुत ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है।

Janbhawana Times
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बिहार में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में इस्तीफा का दौर शुरू हो गया है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि राजद और जेडीयू के बीच बेहतर तालमेल बहुत ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है। बयानों की वजह से सुर्खियों में रहनेवाले बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को आखिरकार इस्तीफा देना ही पड़ा। चौंकाने वाली बात यह है कि कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को सौंपा  है। इसमें कोई दोराय नहीं कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा नहीं देने के पीछे सुधाकर सिंह के बागी तेवर की बू आ रही है। सुधाकर सिंह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कोटे से कृषि मंत्री  बनाए गए थे।

यह भी महत्वपूर्ण  है कि सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। दरअसल, बयानवीर सुधाकर सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नजरअंदाज कर रहे थे। उन्हें इस बात की चिंता नहीं थी कि हमारा मुखिया कौन है? जब कोई एमएलए किसी मंत्रिमंडल का हिस्सा होता है तो मुख्यमंत्री के प्रति उसकी जिम्मेदारी सबसे पहले होती है। लेकिन अगर कोई मंत्री यह समझ बैठे कि वह मुख्यमंत्री की उपेक्षा कर मंत्री पद पर बने रहेंगे तो यह उनकी भयंकर भूल मानी जाएगी। कैमूर में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने खुले मंच से कहा था कि हमारे विभाग का कोई ऐसा अंग नहीं है,जो चोरी नहीं करता है। इस तरह से हम चोरों के सरदार हुए। उन्होंने कहा कि आप पुतला फूंकते रहिए। ऐसा करिएगा तो हमको याद रहेगा कि किसान मुझसे नाराज हैं। अगर आप लोग ऐसा नहीं करेंगे तो लगेगा कि सब ठीक चल रहा है। आगे उन्होंने कहा कि अगर कैबिनेट में मैं अकेला बोलता तो लगता कि इनकी अपनी समस्या है। अगर हर कोई बोलेगा तो हमारे ऊपर जो बैठे लोग हैं, वो भी सुनेंगे। इससे पहले भी सरकार में यहां से मंत्री रह चुके थे, बावजूद उसके यहां के लोगों कि स्थिति नहीं बदली। उन्होंने कहा कि यहां कि स्थिति नहीं बदली तो मुझे मंत्री बनाया गया। अब कैमूर से दो-दो मंत्री हैं, इसके बाद भी स्थिति नहीं बदलती है तो मेरे मंत्री बनने से क्या फायदा? जाहिर है, इस बयान के बाद सुधाकर सिंह अचानक पूरे देश में चर्चा में आ गए थे।

वहीं, कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बात को लेकर टोकने पर सुधाकर सिंह कैबिनेट की बैठक से उठकर चले गए थे। इस मामले को लेकर नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि इस मसले को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव देखेंगे। इसके बाद सुधाकर सिंह के तेवर पर जेडीयू के नेताओं ने सवाल भी उठाए। लेकिन बावजूद इसके सुधाकर सिंह के तेवर में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने हर खेत तक पानी पहुंचाने के नीतीश कुमार के दावे को गलत करार दे दिया। इस बात को लेकर सीएम नीतीश कुमार से कृषि मंत्री के बीच तनातनी की स्थिति बन गई। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सुधाकर सिंह ने कृषि विभाग का कामकाज संभालते ही विभाग के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दिया। कृषि विभाग की कार्यप्रणाली पर उन्होंने उंगली उठाई और कहा कि उनके पहले भ्रष्ट अधिकारियों ने विभाग को जमकर लूटा और यह सिलसिला टूट नहीं रहा है।  बार-बार उन्होंने पिछले 17 सालों से काम कर रही सरकार पर सवाल उठाए। कृषि मंत्री सीएम नीतीश कुमार को टारगेट करते रहे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह कृषि रोड मैप बेकार है।  

इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए। सुधाकर ने दावा किया था कि नीतीश कुमार सरकार के कृषि रोड मैप से किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ। कृषि रोड मैप के आंकड़े बहुत चिंताजनक है । 10 सालों से खाद्यान्न के उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।  इसके ठीक उलट 2011-12 की तुलना में 2021 बीच में कुल उत्पादन में गिरावट आ गई। कृषि मंत्री ने इन तमाम आरोपों के मद्देनजर स्वतंत्र जांच एजेंसी से कृषि रोड मैप की जांच कराने की घोषणा कर डाली। वहीं, सुधाकर सिंह के पिता बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह का यह कहना राजनीतिक दृष्टिकोण से और भी महत्वपूर्ण कि बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने किसानों के प्रश्न को उठाया है लेकिन सिर्फ प्रश्न उठाने से कुछ नहीं होता है। उसके लिए त्याग भी करना पड़ता है। हम नहीं चाहते हैं कि कोई लड़ाई आगे बढ़े। सरकार अच्छी तरह से चले इसके लिए सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा सरकार को सौंप दिया है।

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02 October 2022, 08:52 PM IST

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