राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यूयू ललित ने रविवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृऋिम बुद्धिमता) संचालित देश के पहले डिजिटल लोक अदालत का शुभारंभ किया। 18वीं अखिल भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक के दौरान देश में यह नई शुरुआत हुई है। इसके साथ ही चर्चा शुरू हो गई है कि क्या भविष्य में रोबोट जज बनकर न्याय करेंगे। क्योंकि दुनिया के कई देशों में ऐसा हो भी रहा है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा 22) के डिजिटल लोक अदालत को इसके प्रौद्योगिकी भागीदार ज्यूपिटिस जस्टिस टेक्नोलॉजीज द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। गौरतलब है कि दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने केन्द्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजीजू और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में शनिवार को किया था। तीन साल पहले एंटोनिया में एक रोबोट ने जज के रूप में काम करना शुरू किया था।
यूरोप के इस देश ने एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पावर्ड रोबो-जज तैयार किया है। इससे पहले चीन के हेंगझाऊ शहर में अगस्त 2017 में पहले इंटरनेट (साइबर) कोर्ट की स्थापना हुई, इस कोर्ट में ब्लॉकचैन, क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया गया।
बिहार की एक जिला अदालत ने हाल ही में भूमि विवाद मामले में 108 साल बाद फैसला सुनाते हुए उसे देश के सबसे पुराने लंबित मामलों में से एक बना दिया। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत में सभी मौजूदा मामलों को निपटाने में लगभग 324 साल लगेंगे। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 75 से 97 प्रतिशत न्याय संगत समस्याएं कभी भी अदालतों तक नहीं पहुंचती हैं।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि 130 करोड़ आबादी वाले देश में अधिकांश लोग अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे हैं और महत्वपूर्ण आबादी समाज हाशिए पर है। न्याय तक सभी को पहुंच प्रदान करना विकट चुनौती है। First Updated : Monday, 18 July 2022