द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को 99 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अपराह्न करीब 3ः30 बजे अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि हृदयगति रूकने से उनका निधन हुआ है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से श्रद्धालुओं और संत समाज में शोक की लहर फैल गई।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य ब्रह्मविद्यानंद ने बताया कि सोमवार शाम पांच बजे उन्हें आश्रम में ही समाधि दी जाएगी।वे महज 19 वर्ष की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया।
स्वामी स्वरूपानंद ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। वे दो मठों, द्वारका व ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य थे।
उनका जन्म 02 सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के ग्राम दिघोरी में हुआ था। महज नौ साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्राएं शुरू की। साल 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई नेताओं शोक व्यक्त किया है। First Updated : Sunday, 11 September 2022