स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट का दावा, भारत में वैक्सीनेशन ने बचाई 34 लाख जिंदगियां

शुक्रवार 24 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में देश में लगे पहले लॉकडाउन से लेकर कोविड वैक्सीनेशन तक की रिपोर्ट जारी की गई है।

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दुनिया में कोरोना वायरस अब तक की सबसे गंभीर महामारी में से एक है। चीन के वुहान शहर से निकला वायरस ने विश्व को अपनी चपेट में ले लिया था। लाखों की संख्या में कोविड-19 से संक्रमित मामले सामने आ रहे थे। इस वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया भर के देशों ने वैक्सीन निर्माण करने में अपने रात-दिन लगा दिए। भारत में भी केंद्र सरकार कोरोना वारस संक्रमण पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए, जिसमें से एक है कोविड वैक्सीनेशन।

देश में युद्ध स्तर पर कोविड टीकाकरण अभियान चलाया गया। जो आज भी जारी है। आपको बता दें कि देश में कोविड वैक्सीनेशन को लेकर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक रिपोर्ट जारी की है। में ये दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत का कोविड टीकाकरण अभियान से 34 लाख लोगों की जान बची है।

स्वास्थ्य मंत्री ने दी जानकारी

शुक्रवार 24 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में देश में लगे पहले लॉकडाउन से लेकर कोविड वैक्सीनेशन तक की रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में एमएसएमई, गरीब, कृषि, मजदूर समेत अन्य वर्गों के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए पैकेज के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।

34 लाख मरीजों की बची जान

भारत के कोविड वैक्सीनेशन पर स्टैनफोर्ड की रिपोर्ट को हीलिंग द इकोनॉमी : एस्टीमेटिंग द इकोनॉमिक ऑफ इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड मेजर्स में इस प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ,” भारत में टीकाकरण अभियान से 34 लाख से ज्यादा जिंदगियां बचाने में सफलता मिली है”। इसके अलावा “इस दौरान भारत सरकार उठाए गए कदमों में देश को 18.3 अरब डॉलर के नुकसान होने से बचाया गया है”।

तालाबंदी का फैसला उचित

स्टैनफोर्ड की रिपोर्ट में कोरोना काल में देश में लगाए गए लॉकडाउन को सही बताया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, “रिपोर्ट में कोरोना काल में भारत सरकार की रणनीति की समीक्षा की गई है। जिसमें भारत में उचित समय पर लॉकडाउन के निर्णय की तारीफ की गई हैं”। स्टैनफोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया कि “11 अप्रैल 2020 तक भारत में कोरोना के केस सिर्फ 7500 थे। अगर देश में तालाबंदी नहीं की गई होती तो कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 2 लाख तक पहुंच सकती थीं”। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि “भारत में तालाबंदी लागू होने से दो लाख लोगों की मृत्यु होने से बचा लिया गया”।

पहली लहर में पीक में देरी से आई

स्टैनफोर्ड की रिपोर्ट में दावा किया गया कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में पीक देरी से आई। रिपोर्ट के अनुसार “देश में पहली लहर में पीक आने में 175 दिन लगे। जबकि रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली और जर्मनी में सिर्फ 50 दिनों में कोरोना के केस पीक पर पहुंच गए थे”।

लोगों को मिला मुफ्त भोजन

रिपोर्ट के बताया गया कि भारत सरकार ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज वितरित किया। जिससे कोई भी भूखा न सोए।

दुनिया की फार्मेसी है भारत- मंडाविया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि “आज भारत दुनिया की फार्मेसी है, और वह वसुधैव कुटुंबकम के विचार को मानता है”। उन्होंने आगे कहा कि “दुनिया भर में स्वास्थ्य और फार्मा जैसे सेक्टर में सुधार की जरूरत है”।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “भारत में विश्व में हर पांच जेनेरिक गोलियों में से एक उत्पादन किया जाता है”। इसके अलावा 50 प्रतिशत निर्यात किया जाता है। उन्होंने कहा कि “हम दुनिया भर के कई देशों में लोगों के लिए दवाओं को सस्ती बनाने में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं”। First Updated : Saturday, 25 February 2023