Teachers’ Day 2022: गुरु के सम्मान का दिन
भारत में गुरु के सम्मान की सदियों से परंपरा रही है। प्राचीन काल से ही गुरु के दर्जे को भगवान से भी बड़ा माना गया है। इसीलिए
भारत में गुरु के सम्मान की सदियों से परंपरा रही है। प्राचीन काल से ही गुरु के दर्जे को भगवान से भी बड़ा माना गया है। इसीलिए कहा गया है-
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
वैसे तो हर दिन गुरु के सम्मान का दिन है मगर गुरु के सम्मान के लिए एक खास तिथि भी निर्धारित की गई है, जिसे हम 5 सितंबर शिक्षक दिवस #Teacher's day के रूप में मनाते हैं।
प्रत्येक वर्ष डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। विश्वभर में शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। प्राचीन मतों के अनुसार हेलेना, अर्कांसस के एक शिक्षक मैटी व्हाईट वुड्रिज ने एलेनोर रूजवेल्ट को लिखा, जिन्होंने 1953 में 81 वीं कांग्रेस को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित करने के लिए राजी किया। भारत में शिक्षक दिवस के लिए 5 सितंबर का ही दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था।
राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, शिक्षाविद और लेखक थे। शिक्षक दिवस के दिन सभी छात्र अपने शिक्षकों व गुरुओं के प्रति आभार व सम्मान प्रकट करते हैं। देशभर के स्कूल, कॉलेज और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके लिए देशभर में पहली बार 5 सितंबर 1962 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई। गुरु की महिमा का बखान करते हुए हमारे संत कबीर दास ने भी कहा है-
कबिरा हरि के रूठते गुरु के शरणे जाय। कहि कबीर गुरु रूठता हरि नहीं होत सहाय।।
अर्थात अगर भगवान आपसे नाराज होते हैं तो गुरु की शरण में चले जाइये, समाधान हो जायेगा। अगर गुरु नाराज होते हैं तो यह भगवान को भी अच्छा नहीं लगता। शिक्षक का स्थान जीवन में भगवान से ऊपर होता है। हमारे जीवन के अज्ञान रूपी अन्धकार को वो अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से दूर करता है और हमें जीवन जीने का सही ढंग सिखाता है। अध्यापक द्वारा मिले ज्ञान से ही हम जीवन में एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं। अध्यापक के जीवन में महत्त्व के कारण ही उनके सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसीलिए कहा गया है- इन्सान के रूप में वो भगवान होते हैं।
शिक्षा का दान करने वाले शिक्षक महान होते हैं।
वो न होते तो मैं भी ठोकरें जहान की खाता,
उसने ज्ञान क्या दिया, मेरी तो जिंदगी बदल गयी।।
अज्ञान का अंधेरा मिटने से जीवन में ज्ञान की रोशनी आई है,
गुरु कृपा से मैने ये अनमोल शिक्षा पाई है।
गुरु का स्थान सबसे ऊंचा, गुरु बिन कोई ना दूजा।
साक्षर हमें बनाते हैं, जीवन क्या है समझाते हैं।।
आज के परिवेश में हालांकि रिश्तों में बहुताधिक बदलाव आया है, मगर किसी को भी अपनी मर्यादा को नहीं भूलना चाहिये। गुरु की महिमा का बखान करना बहुत ही मुश्िकल है। इसके लिए शब्द भी कम पड़ जायेंगे। फिर भी एक दोहा और गुरु के श्री चरणों में समर्पित है जो जीवन में गुरु के महत्व को दर्शाता है-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।
इन्हीं पक्यों के साथ सभी देशवासियों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं तथा लेखनी के माध्यम से देश के भविष्य का निर्माण करने वाले सभी शिक्षकों को शत-शत नमन।