कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि क्या लाल किले की प्राचीर से नारीशक्ति के विषय में की गई उनकी बात सही है या फिर बिलकिस बानो मामले के दोषियों को रिहा करने का गुजरात की भाजपा सरकार का फैसला सही है?
पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर से ‘राजधर्म’ की याद दिलाती है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया। यह कोई इकलौता मामला नहीं है। ऐसे कई मामले हैं जिनसे भाजपा की मानसिकता दिखाई देती है। इससे पहले कठुआ और उन्नाव के मामले में ऐसा हुआ जो भारत की राजनीति के लिए शर्मिंदगी के विषय थे। पहली बार ऐसा हुआ कि एक राजनीतिक दल के लोगों ने बलात्कारियों के समर्थन में रैली निकाली और नारे लगाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को नारीशक्ति के बारे में अच्छी-अच्छी बातें कीं। इसके कुछ घंटों बाद गुजरात सरकार ने ऐसा निर्णय लिया जो अप्रत्याशित था और जो कभी नहीं हुआ। बलात्कार के अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया।’’ खेड़ा ने सवाल किया, ‘‘क्या बलात्कार उस श्रेणी का अपराध नहीं है जिसमें कड़ी से कड़ी सजा मिले? आज फिर यह देखा गया कि इन लोगों को सम्मानित किया जा रहा है। क्या यह है अमृत महोत्सव?’’
उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘असली नरेंद्र मोदी कौन हैं, जो लाल किले की प्राचीर से झूठ परोसते हैं या फिर वह जो अपनी गुजरात सरकार से बलात्कार के अभियुक्तों को रिहा करवाते हैं? यह कांग्रेस पार्टी और देश जानना चाहता है।’’ खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री बताएं कि जो उन्होंने लाल किले की प्राचीर से कहा, वह सही है ? या फिर गुजरात सरकार ने जो किया, वह सही है? या तो प्रधानमंत्री अपनी बात वापस लें या फिर गुजरात सरकार अपना निर्णय वापस ले।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज अटल जी की पुण्यतिथि भी है। आज मोदी जी को हम फिर से राजधर्म का स्मरण दिला रहे हैं।’’ बिलकिस बानो मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था।
गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी थी। मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। First Updated : Tuesday, 16 August 2022