देश का भविष्य युवाओं के उद्यम और दृढ़ संकल्प पर निर्भर : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि युवा किसी भी देश का वर्तमान और भविष्य दोनों होते हैं। उनकी प्रतिभा और क्षमता देश को गौरवान्वित करने में विशेष भूमिका निभाती है। अतः यह कहना उचित होगा कि आज का युवा कल का इतिहास निर्माता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि युवा किसी भी देश का वर्तमान और भविष्य दोनों होते हैं। उनकी प्रतिभा और क्षमता देश को गौरवान्वित करने में विशेष भूमिका निभाती है। अतः यह कहना उचित होगा कि आज का युवा कल का इतिहास निर्माता है।
राष्ट्रपति ने 'माय होम इंडिया' द्वारा आयोजित युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम जानते हैं कि दुनिया में किशोरों और युवाओं की सबसे बड़ी आबादी भारत में है। इसे 'जनसांख्यिकीय लाभांश' कहा जाता है जो हमारे देश के लिए एक अवसर है। हमें इस अवसर का लाभ उठाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हमारे युवा देश के विकास और प्रगति में अधिकतम योगदान दें। हमारे देश का भविष्य युवाओं के उद्यम और दृढ़ संकल्प पर निर्भर करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह हम सभी के लिए बड़े गर्व की बात है कि भारतीय युवाओं ने अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत से कई स्टार्टअप की नींव रखी है। आज का युवा जॉब सीकर नहीं बल्कि जॉब क्रिएटर बनने की राह पर है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि युवा किसी प्रकार का कौशल प्राप्त करें और उस कौशल के आधार पर अपना करियर चुनें। आज का युग विशेषज्ञता का है। केवल तकनीक और विशेषज्ञता ही हमारे युवाओं को शीर्ष पर ले जा सकती है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस साल 29 जून तक भारत में 103 यूनिकॉर्न स्थापित किए जा चुके हैं, जिनका कुल मूल्यांकन लगभग 336 अरब डॉलर है। यूनिकॉर्न वे कंपनियां होती हैं जिनका आर्थिक मूल्यांकन एक बिलियन डॉलर या उससे अधिक होता है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हर 10 में से 1 यूनिकॉर्न भारत में है। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल मई तक दुनिया भर में 47 कंपनियों ने डेकाकॉर्न का दर्जा हासिल किया है, जिसमें चार भारतीय स्टार्ट-अप हैं और उनमें से तीन युवाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। कोविड-19 के दौरान भी भारत में यूनिकॉर्न की संख्या में वृद्धि की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस महामारी ने विश्व स्तर पर बड़ी सामाजिक-आर्थिक पीड़ा का कारण बना है, लेकिन इस दौरान भी हमारे युवा उद्यमियों ने साहस और प्रतिभा का एक अद्भुत उदाहरण पेश किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता बहुत प्राचीन है। और प्राचीन काल से ही हमने अनेकता में एकता के सिद्धांत को बड़ी सहजता से अपनाया है।
भारत की धरती हमेशा विभिन्न सभ्यताओं और परंपराओं को सुशोभित करती रही है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 'माय होम इंडिया' अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भावना का प्रसार कर रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को राष्ट्रवाद के प्रति जागरूक करने के लिए युवा सम्मेलन एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने 'वन इंडिया' और 'कर्मयोगी' जैसे पुरस्कारों की स्थापना के लिए 'माय होम इंडिया' की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह एनजीओ कई सामाजिक कार्यों में भी लगा हुआ है।