राजू श्रीवास्तव के निधन के बाद देश के तमाम हस्तियों ने दुख जताया। सभी ने परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की। 42 दिन श्रीवास्तव अस्पताल में भर्ती रहें। इलाज के दौरान करोड़ों लोगों ने उनकी सलामति की दुआएं की। परन्तु विधाता ने उनकी जिंदगी को यहीं तक रखना उचित समझा और आखिरकर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकेे करोड़ो फैंस उनके व्यत्तित्व की काफी प्रशंसा करते हैं। उनका मानना है कि श्रीवास्तव ने अपनी जिंदगी में वो सबकुछ हासिल किया जो एक आम इंसान ख्वाहिश रखता है पर उसके बावजूद उनका आम लोगों के प्रति प्रेम कभी कमा नहीं। और ऐसी कई बातें हैं जो राजू श्रीवास्तव को वो आम लोगों के दिलों में वो स्थान दिलाती हैं।
श्रीवास्तव की वो पांच बातें जो….
स्नेह भावना : श्रीवास्तव ने 58 साल की जीवन में स्नेह को अलग स्थान दिया। वो इस बात को समझते थे कि स्नेह, प्यार, मुहब्बत किसी की निराशा भरी जीवन में एक प्रकाशमयी रोशनी के जैसे पल होते हैं। कहते हैं यह वो चीज है जो किसी भी इंसान को इंसान होने पर गर्व महसूस करती है। आप स्नेह से वो सबकुछ पा सकते हैं जो अन्य चीजों से हासिल नहीं किया जा सकता। प्यार वो चीज है जो आपके जुड़ाव में एक अटूट बंधन जैसे कार्य करती है। और यही वो चीज थी जिसे राजू श्रीवास्तव ने अपने जिंदगी में एक अलग स्थान दिया, और वह लोगों के दिलों में बस गए।
मिट्टी से जुड़ाव : श्रीवास्तव का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उम्र बढ़ने के साथ उनकी जिम्मेदारी बढ़ी और वह काम के वास्ते कानपुर की गलियों से बाहर निकले। श्रीवास्तव सालों तक के संघर्ष के बाद उन्हें वो पहचान मिली जिसका उन्होंने बचपन में सपना देखा। वह हास्य कलाकार बने। लोगों के तनाव को अपनी कला के अंदाज से शून्य कर देते। फिर क्या था कुछ ही दिनों में वह लोगों के दिलों में बस गए। कहते है कि राजू ने वो सबकुछ हासिल किया जो एक आम लोग की ख्वाहिस होती है। लेकिन वह अपने लोग, अपने मिट्टी, अपने समाज और अपने परिवार से उसी तरह जुड़े रहे जैसे वह बचपन के दिनों में रहे। और यह उनकी एक विशेष गुण रही।
साधारण जीवन : अक्सर देखा जाता है कि जब लोग बड़े बन जाते हैं, पैसे हो जाते हैं तो वह अपनी जीवन को उसी अनुसार जीने की कोशिश करते हैं। और यह कोई बुरी बात भी नहीं है। लोग मेहनत कर उस लायक बनते हैं जिसकी ख्वाहिश वह बचपन से देख रहें होते हैं। और यह बहुत ही समान्य बात है। ऐसे में जब किसी व्यक्ति के पास वो सब कुछ हो परन्तु वह अपनी जीवन को इसके बावजूद साधारण रखना चाहे तो यह कोई सामान्य बात नहीं होती। पर राजू श्रीवास्तव में थी और यहीं भी वो कारण रहा जब लोगों की स्नेह उनके प्रति बरकरार रही।
संघर्षशीलता : 25 दिसंबर 1963 में जन्में राजू श्रीवास्तव का शुरूआती जीवन संघर्ष से भरा रहा। शुरूआती दिनों में पैसे कमाने के लिए श्रीवास्तव ने ऑटो रिक्शा चलाए। लेकिन उनकी मिमक्री की कला ने हर जगह सामने आ जाती। ऐसे ही धीरे-धीरे उन्हें छोटे- छोटे शो करने का अवसर मिलता रहा। बाद मे उन्हे फिल्मों में रोल भी मिले। लेकिन उन्हें पहचान मिली साल 2005 में जब स्टार वन पर प्रसारित होने वाले शो ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज में जब वह इस शो के उप विजेता बने और लाखों लोगों के दिलों ने स्थान बना ली। हालांकि इसके बाद भी उनका सघर्ष थमा नहीं।
दरियादिली स्वाभाव : श्रीवास्तव के जानने वाले कहते हैं कि वह स्वाभाव से दरियादिली इंसान थे। लोगों की हर संभव मदद करने में वह कभी पीछे नहीं हटते। वह वहुत सारे चौरिटी से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मदद करने के लिए हमेशा से तत्पर रहते। और यही कारण है कि बाद में उन्होनें इसे बड़े स्तर पर करने के लिए राजनीति से जुड़ने का फैसला किया था। लेकिन वह काफी कम समय में लोगो के बीच से चले गए। First Updated : Wednesday, 21 September 2022