विजय दशमी के सही मायने

देशभर में आज विजय दशमी यानी दशहरे की धूम है। प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रों के समापन, राम नवमी के अगले दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसी कड़ी में बुधवार, 05 अक्टूबर 2022 को असत्य पर सत्य की विजय का पर्व देशभर में मनाया जा रहा है।

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04 October 2022, 09:00 PM IST

देशभर में आज विजय दशमी यानी दशहरे की धूम है। प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रों के समापन, राम नवमी के अगले दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसी कड़ी में बुधवार, 05 अक्टूबर 2022 को असत्य पर सत्य की विजय का पर्व देशभर में मनाया जा रहा है। विजयदशमी का यह त्यौहार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष सितंबर से अक्टूबर के आसपास मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व आश्विन मास में मनाया जाता है। सनातन/हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोगों को दशहरा त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। दशहरा का त्योहार सभी के लिए खुशी मनाने का क्षण लेकर आता है। दशहरा हिंदू धर्म का प्रसिद्ध त्योहार है।

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह त्योहार आश्विन माह में मनाया जाता है। 9 दिनों तक नवरात्रि के पर्व के बाद दशहरे का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरे को विजयदशमी भी कहा जाता है। इस साल दशहरा 5 अक्‍टूबर बुधवार को मनाया जाएगा और इस दिन देश भर में जगह-जगह बुराई रूपी रावण के पुतले जलाए जाएंगे। दशहरे के पीछे एक प्रचलन है। दशहरा त्योहार उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब भगवान राम ने लंका में राक्षस राजा रावण का वध किया था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि इसी दिन  देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो लेकिन जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है। दशहरा सबसे लंबे समय तक मनाये जाने वाला हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है, जो 10 दिनों तक मनाया जाता है। दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई एवं असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन श्री राम ने राक्षस  राज रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को मुक्त कराया था। दशहरा पर्व न सिर्फ हिंदू धर्म में बल्कि देश के अन्य धर्मों द्वारा भी मनाया जाता है। 9 दिन के नवरात्रि पर्व के बाद 10वें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन हर तरफ एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। जगह-जगह मेले लगे हुए होते हैं।

मेलों में और पार्कों में कुंभकरण, मेघनाथ, और रावण के पुतले बनाए जाते हैं और दशहरे वाले दिन उन्हें जलाया जाता है। तीनों राक्षसों के पुतले को जलाने का उद्देश्य होता है कि इनके साथ बुराई को जलाया जा रहा है। दशहरा भारतीय उपमहाद्वीप में लंका के राजा रावण की बर्बर भूमिका के अंत का प्रतीक माना जाता है। विजयादशमी या दशहरा केवल एक पर्व मात्र नहीं है। यह प्रतीक है कई सारी बातों का। सच, साहस, अच्छाई, बुराई, निःस्वार्थ सहायता, मित्रता, वीरता और सबसे बढ़कर दंभ जैसे अलग-अलग भले-बुरे तत्वों का प्रतीक। जहां भले प्रतीकों की बुरे प्रतीकों पर विजय हुई और हर युग के लिए इस आदर्श वाक्य को सीख की तरह लेने की परंपरा बनाई गई। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है। सही मायने में दशहरा का अर्थ महज आतिशबाजी छोड़ना नहीं, बल्िक अपने अंदर की बुराइयों को दूर कर अच्छाइयों को अपनायें यही हमारी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रति सच्ची आस्था होगी। इन्हीं पंक्ितयों के साथ सभी देशवासियों को दशहरा पर्व की शुभकामनाओं के साथ ईश्वर से कामना है कि हर प्राणी के अंदर के रावण यानी बुराइयों का अंत हो और सभी सत्मार्ग पर चलें, फिर हर दिन दशहरा है।

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04 October 2022, 09:00 PM IST

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