देश के अनोखे रेलवे स्टेशन जिनका कोई नाम नहीं है, फिर टिकट कहां की

भारतीय रेलवे को हमारे देश में लाइफ लाइन के रूप में जाना जाता है। अंग्रेजों के जमाने से लेकर अभी तक भारतीय रेलवे सालों से यात्रियों को अपनी सेवाएं दे रहा है। भारतीय रेलवे एशिया का दुसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। हमारे देश

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भारतीय रेलवे को हमारे देश में लाइफ लाइन के रूप में जाना जाता है। अंग्रेजों के जमाने से लेकर अभी तक भारतीय रेलवे सालों से यात्रियों को अपनी सेवाएं दे रहा है। भारतीय रेलवे एशिया का दुसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। हमारे देश में कुल 7612 रेलवे स्टेशन है। कई रेलवे अपनी खासियत के कारण चर्चा में रहते है तो कई स्टेशन अपने आजीव नाम के कारण जाने जाते है। आज आपको कुछ ऐसे रेलवे स्टेशन के बारें में बताएंगे जिनके बारें में जानकार आपको हैरानी होगी, लेकिन अगर आपको पता चले की देश में ऐसे भी रेलवे स्टेशन है जिनके कोई नाम नहीं है आपके मन में आजीब से प्रश्न उठेगें कि कैसे वहां के लोग सफर करते होगें क्योंकि बिना नाम के कोई रेलवे स्टेशन कैसे हो सकता है। दूसरी तरफ यह यात्रियों के लिए भी बड़ी समस्या है।

 

भारत में ऐसे दो रेलवे स्टेशन है जिनका कोई नाम नहीं है। एक स्टेशन पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में हैं, इस जिलें से करीब 35 किलोमीटर दूर रैना नाम का एक गांव है। जहां साल 2008 में नया रेलवे स्टेशन बनवाया गया। लेकिन इसके नाम को लेकर फैसला नहीं लिया जा सका, तो दूसरा स्टेशन झारखंड के रांची में स्थित है। 

जानिए रेलवे स्टेशन के बेनाम होने की वजह

बंगाल का यह रेलवे स्टेशन दो गांवों के बीच में बनाया गया था। रैना और रैनागढ़, ऐसे में इस रेलवे स्टेशन का नाम ‘रैनागढ़’ पड़ा। लेकिन यह बात रैना गांव में रहने वाले लोगों को पसंद नहीं आई , जिस कारण दोनों गांवों के बीच विवाद छिड़ गया। रैना गांव वालों का आरोप है कि इस स्टेशन को उनकी जमीन पर तैयार किया गया है, ऐसे में इस स्टेशन का नाम रैना ही होना चाहिए, वहीं रैनागढ़ वाले लोग इस बात का विरोध करने लगे, बात यहां ही नहीं रूकी। इस बात को लेकर कोर्ट में तक मामला पहुंच गया। जिसके बाद भारतीय रेलवे ने स्टेशन पर लगे साइन बोर्ड के नाम को मिटा दिया, तब से लेकर आज तक यह रेलवे स्टेशन बेनाम है। 

 

जैसा कि आपको मैने आपको बताया कि एक रेलवे स्टेशन झारखंड के रांची में है, जिसका कोई भी नाम नही है। इस स्टेशन के बेनाम होने के कारण बड़ी ही दिलचस्प काहानी है, साल 2011 में इस स्टेशन को शुरू किया गया। तब इस रेलवे स्टेशन का नाम ‘चांपी’ रखा गया। लेकिन स्थानीय लोगों को यह नाम नहीं पसंद आया, गांव वालों ने इस स्टेशन को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी, ऐसे में वो इस स्टेशन का नाम ‘कमले’ रखना चाहते थे। इस कारण नाम को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया तब से लेकर अभी तक यह विवाद कायम है। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस स्टेशन को ‘बड़की चांपी’ ही  के नाम से ही जाना जाता है।  First Updated : Monday, 18 July 2022