महंगाई में आटा गीला! साल भर में 40 फीसदी बढ़ी आटे की कीमत, जानिए क्या है वजह
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के बाद अब भारत में भी आटे के कीमत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। जी हां, आपको बता दें कि साल के शुरूआत के पहले महीने में ही दो बार आटे के दाम भारी बढ़ोतरी हो चुकी है। जिसके चलते आटा पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी तक महंगा हो गया है। ऐसे में आम लोगों के किचन का बजट तो गड़बड़ हो ही रहा है, वहीं आटे के बढ़ते दाम ने सरकार की टेंशन भी बढ़ा दी है। चलिए इस बारे में आपको जरा विस्तार से बताते हैं।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के बाद अब भारत में भी आटे के कीमत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। जी हां, आपको बता दें कि साल के शुरूआत के पहले महीने में ही दो बार आटे के दाम में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है। जिसके चलते आटा पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी तक महंगा हो गया है। ऐसे में आम लोगों के किचन का बजट तो गड़बड़ हो ही रहा है, वहीं आटे के बढ़ते दाम ने सरकार की टेंशन भी बढ़ा दी है। चलिए इस बारे में आपको जरा विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, सरकारी आकड़ों की माने तो बीते साल जहां बाजार में खुला आटा 25-27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा था तो पैकट या ब्रांडेड आटा के दाम 35 रुपए प्रति किलो था। पर अब वही खुला आटा जहां मार्केट में 38 रुपए प्रति किलो बिक रहा है और पैकेट आटे की कीमत 45 से 55 रुपए प्रति किलो हो चुकी है। जाहिर तौर पर आटे की कीमत में आई इस भारी वृद्धि ने देश की जनता के साथ सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है। अब बात करें कि आखिर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत में गेहूं और आटे की कीमत में ये उछाल कैसे आई है तो इसके लिए आपको निम्न बिंदुओं को समझना होगा।
गेहूं उत्पादन में भारी कमी आना
असल में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश भारत, में बीते साल में जलवायु परिवर्तन के चलते उत्पादन में भारी कमी आई है। मौसम विभाग की माने तो बीते साल 2022 में 122 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए मार्च का महीना सबसे गर्म रहा था, जहां देश का औसत अधिकतम तापमान 33.10 डिग्री सेल्सियस तक रहा था,जबकि न्यूनतम तापमान 20.24 डिग्री था। ऐसे में तापमान में वृद्धि का असर सीधे तौर पर गेहूं के फसल पर पड़ा, जिसके चलते उत्पादन 129 मिलियन टन से घटकर 106 मिलियन टन तक पहुंच गया।
गेहूं की सरकारी खरीदी कम होना
गेहूं उत्पादन में कमी आने के साथ ही बीते साल गेहूं की सरकारी खरीदी कम होना भी इसके दाम में बढ़ोतरी के पीछे दूसरी अहम वजह है। बताया जा रहा है कि बीते साल सरकार की तरफ से गेहूं का समर्थन मूल्य कम होने और खरीदारी में सरकारी एजेंसी के सख्त नियम-कानून के चलते सरकारी खरीदार काफी कम मात्रा में हुई। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो साल 2020-21 में भारत सरकार की तरफ से जहां 43.3 मिलियन टन गेहूं खरीदा गया था तो वहीं वर्ष 2021-22 में सिर्फ 18 मिलियन टन की ही खरीदारी हुई।आकड़ों के अनुसार बीते वर्ष भारत सरकार ने जहां तकरीबन 23 रुपए समर्थन मूल्य गेहूं पर रखा था, तो वहीं व्यापारियों ने 25-26 रुपए पर लोगों से गेहूं खरीद लिया और फिर वही व्यापारी मनमाने दाम पर मार्केट में गेहूं और आटा बेचने लगे।
गेहूं के दाम कम करने के लिए सरकार की कवायद
वहीं मार्केट में लगातार बढ़ते गेहूं और आटे की कीमत से सतर्क सरकार अब दाम में कमी लाने के लिए प्रयास कर रही है। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो केंद्र सरकार अगले महीने 1 फरवरी से 30 मिलियन टन गेहूं को खुले बाजार में बेचने वाली है, जिसके लिए ई-टेंडरिंग भी मंगवाया गया है। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से आटा के दाम में 10 रुपए प्रति किलो तक की कमी आ सकती है।