कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे? मोदी लहर में भी अपनी सीट हासिल करने में रहे कामयाब, अध्यक्ष बने तो ऐसा दूसरी बार होगा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष पद की चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। उनका मुकाबला उनके साथी नेता शशि थरूर से माना जा रहा है। थरूर ने भी अपना नामांकन दाखिल किया। आज नामांकन का अंतिम दिन है। दोपहर 3 बजे के बाद नामांकन की प्रकिया समाप्त हो जाएगी।
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष पद की चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। उनका मुकाबला उनके साथी नेता शशि थरूर से माना जा रहा है। थरूर ने भी अपना नामांकन दाखिल किया। आज नामांकन का अंतिम दिन है। दोपहर 3 बजे के बाद नामांकन की प्रकिया समाप्त हो जाएगी।
मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम अध्यक्ष पद के लिए सामने आने से पहले काफी कुछ कांग्रेस पार्टी के अंदर घटी। पहले तो गहलोत का नाम सामने आया फिर दो दिन बाद उन्होंने इस दौड़ से अपने आप को बाहर माना। फिर इंट्री हुई दिग्विजय सिंह की, एलान के लगभग एक दिन बाद उन्होंने भी इस चुनाव से बाहर होने की घोषणा कर दी। जिसके बाद आज अचानक से मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आ गया। जिसके बाद ऐसा माना जाने लगा कि यह चुनाव अब मल्लिकार्जुन खड़गे वर्सेस थरूर होगी।
कौन हैं मल्लिकार्जुन खड़गे?
खड़गे का सबसे दमदार परिचय यह है कि जब साल 2014 के लोकसभा के चुनाव में पूरे देश में मोदी लहर थी, और जब चुनाव का परिणाम आया तो कांग्रेस सत्ता से बाहर होकर केवल 44 सीट पर सिमट वैसे आंधी में खड़गे ने अपनी सीट न केवल जीती बल्कि कांग्रेस पार्टी को एक बेहद ही ताकतवर विपक्ष का चेहरा दिया, और कुछ ही दिनों के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस हाईकमान ने लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया।
80 वर्षीय खड़गे ने अपने 50 साल के लंबे राजनीतिक अनुवभ वो सब परिस्थितिओं का सामना किया जो उनके सामने चुनौती बनकर आई। साल 1969 में खड़गे अपने गृह शहर गुलबर्गा के अध्यक्ष बने, जिसके बाद उन्होंने कर्नाटक के गुरमित्तकल से पहली बार 1972 में विधायक बने और साल 2008 तक गुरमित्तकल से विधायक चुने जाते रहे। लगातार 8 बार उन्होंने विधायक का चुनाव जीते, जिसके बाद पार्टी ने उन्हे गुलबर्गा से 2009 के लोकसभा चुनाव में लड़ने का मौका दिया और वह उसमे भी बड़े अंतर से कामयाबी हासिल करने में सफल रहे।
फिर समय आया 2014 के लोकसभा चुनाव का जब पूरे देश में मोदी लहर थी, उस वक्त भी मल्लिकार्जुन खड़गे को बीजेपी के उम्मीदवार हराने में नाकामयाब रहे। जिसके बाद खड़गे का कद पार्टी में लगातार बढ़ता गया। पार्टी ने उन्हे लोकसभा में विपक्ष को नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी। वह इस कार्य को भी बखूबी से निभाते रहे। जब केंद्र सरकार के द्वारा महंगाई, बेरोजगारी और अन्य तमाम अहम विषयों पर विपक्ष को सवाल करने का मौका नहीं दे रही थी, उस वक्त खड़गे ने विपक्ष का नेतृत्व करते हुए सरकार को जवाब देने पर मजबूर किया।
अब उनके सामने कांग्रेस की नेतृत्व की जिम्मेदारी आ सकती है। ऐसे में देखना होगा की खड़गे किस तरह से आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को फिर से सरकार मे ंवापस ला सकने में कामयाब रहते हैं या नही।
मल्लिकार्जुन जीते तो ऐसा दूसरी बार होगा
मल्लिकार्जुन खड़गे दलित समाज से आते हैं। अगर वह चुनाव जीतने में कामयाब रहते हैं तो ऐसा दूसरी बार होगा जब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद कोई दलित समाज से आने वाला व्यक्ति संभालेगा। इससे पहले कांग्रेस पार्टी के ही वरिष्ठ नेता रहे बाबू जगजीवन राम ने संभाली थी। वह 1970 में पार्टी के पहले दलित अध्यक्ष बने थे।