'भारत के इतिहास का एक काला अध्याय', PM मोदी ने जलियांवाला बाग शहीदों को दी श्रद्धांजलि

जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को स्वतंत्रता संग्राम का अहम मोड़ बताया.13 अप्रैल 1919 को ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता का शिकार बने सैकड़ों निर्दोष लोग, जो रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे.

13 अप्रैल की तारीख, हर किसी को उस दिन की याद दिलाती हैं, जिस दिन जलियांवाला बाग में शांतिपूर्वक एकत्रित हुए कई लोगों पर गोलियां बरसाई गई. गोलियों की बौछार से मची अफरी-तफरी और हर तरफ खून ही खून... उस मंज़र को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है. भारत की आजादी के इतिहास ये वो काली घटना है, जिसने 'ब्रिटिश राज' की क्रूरता को उजागर किया. जलियांवाला बाग हत्याकांड का दृश्य कैसा रहा होगा, इसकी कल्पना तो नहीं की जा सकती, लेकिन इसे सोचकर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. उन्होंने इस घटना को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा- हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. आने वाली पीढ़ियां उनकी अदम्य भावना को हमेशा याद रखेंगी. ये हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था. उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम मोड़ बना.

जब अमन की आवाज़ पर बरसाई गई गोलियां

13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के मौके पर सैकड़ों लोग जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे. ये विरोध उस समय ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किए गए रॉलेट एक्ट के खिलाफ था, जो बिना मुकदमे के गिरफ्तारी की अनुमति देता था. बिना किसी चेतावनी के, ब्रिटिश जनरल माइकल ओ'डायर के आदेश पर सैनिकों ने भीड़ पर गोलियां चला दी. इस गोलीबारी में सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.

एक ही रास्ता, कोई बचाव का मौका नहीं

जलियांवाला बाग का परिसर चारों ओर से बंद था और वहां से निकलने के लिए सिर्फ एक संकीर्ण रास्ता था. जैसे ही गोलियां चलनी शुरू हुई, लोग जान बचाने के लिए उस रास्ते की ओर दौड़े, लेकिन ज्यादातर लोग वहीं फंसे रह गए और जान गंवा बैठे.

बलिदान जिसने जगाई आज़ादी की चिंगारी

इस हत्याकांड ने पूरे देश में क्रांति की भावना को उजागर किया. इसने ना केवल भारतीय जनमानस को झकझोर कर रख दिया, बल्कि महात्मा गांधी जैसे नेताओं को भी पूरी तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष के लिए प्रेरित किया. जलियांवाला बाग की दीवारों पर लगे गोलियों के निशान आज भी उस दर्दनाक दिन की गवाही देते हैं. ये जगह अब एक राष्ट्रीय स्मारक बन चुका है, जहां हर साल हजारों लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने आते हैं.

शहीदों की याद में देशभर में श्रद्धांजलि

आज के दिन देशभर में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया. नेताओं, इतिहासकारों और आम जनता ने शहीदों को नमन करते हुए उनके बलिदान को याद किया.

calender
13 April 2025, 12:24 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag