Explainer: योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कटोगे' नारा: झारखंड और महाराष्ट्र चुनावों में चर्चा का केंद्र

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कटोगे' नारा इन दिनों राजनीतिक हलचल का कारण बन गया है. यह बयान उन्होंने यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान दिया था, जिससे विपक्ष में गुस्सा और असहमति की लहर दौड़ गई है. योगी के इस बयान को उनकी राजनीति का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, जबकि विपक्ष इसे संवैधानिक और साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से खतरनाक मान रहा है। इस नारे ने यूपी चुनाव में एक नया मोड़ ला दिया है, जिससे राज्य की राजनीति में नए विवाद खड़े हो गए हैं.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

Assembly Elections 2024: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों अपने एक नारे 'बंटोगे तो कटोगे' को लेकर चर्चा में हैं. यह नारा हरियाणा विधानसभा चुनावों में दिया गया था और अब झारखंड व महाराष्ट्र में भी यह नारा राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है. विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया से साफ है कि इस नारे ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है. . तो आइए जानते हैं, आखिर क्यों यह नारा इन दोनों राज्यों में इतना प्रभावी हो रहा है.

 झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर विवाद 

झारखंड में इन दिनों बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर विवाद चल रहा है. बीजेपी का आरोप है कि बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से राज्य के कई हिस्सों में डेमोग्राफी बदल गई है, जिससे स्थानीय हिंदू समुदाय को परेशानी हो रही है. इस मुद्दे के कारण हाल ही में राज्य में कुछ सांप्रदायिक तनाव भी देखने को मिले हैं. ऐसे में योगी का नारा 'बंटोगे तो कटोगे' लोगों के दिलो-दिमाग में घर करता जा रहा है, क्योंकि यह नारा राज्य की एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की अपील करता है।

 

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

जब योगी आदित्यनाथ ने इस नारे के माध्यम से राज्य की जनता से एकजुट होने की अपील की, तो विरोधी दलों ने इसका जवाब देना शुरू कर दिया. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने योगी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह नारा केवल एक विभाजनकारी एजेंडा है. सोरेन ने यह भी दावा किया कि राज्य में हिंदू समुदाय को कोई खतरा नहीं है और बीजेपी की केवल हिंदू-मुस्लिम विमर्श के माध्यम से यहां तनाव फैलाने की कोशिश है.

हरियाणा का चुनावी उदाहरण

योगी के इस नारे का असर झारखंड तक ही सीमित नहीं रहा. हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी योगी का नारा खासा प्रभावी रहा था. जब योगी ने वहां 'बंटोगे तो कटोगे' का नारा दिया, तो इसने बीजेपी को हरियाणा में बड़ी जीत दिलाने में मदद की. झारखंड में भी जब योगी ने सरकार के भ्रष्टाचार, माफिया राज, और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया, तो जनता ने उनके नारे को खूब समर्थन दिया, और सभाओं में इस पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी.

शिवराज का 'जुड़ोगे, तभी बचोगे' नारा

योगी आदित्यनाथ के प्रभाव से प्रेरित होकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी झारखंड के लोगों से 'जुड़ोगे, तभी बचोगे' का नारा दिया. शिवराज ने कहा कि राज्य को बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा. इसी दौरान योगी ने अपनी रैलियों में मुगलों और औरंगजेब का जिक्र करते हुए राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और लूट के आरोप लगाए.

कांग्रेस का पलटवार

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी योगी के नारे पर पलटवार किया. खरगे ने कहा कि बांटने वाले लोग अब दूसरों को नसीहत दे रहे हैं, जबकि असल में यही लोग समाज में दरार डालने का काम कर रहे हैं. सोरेन ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वे वोट के लिए जनता को बांटने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे लोग अंततः नष्ट हो जाएंगे।

महाराष्ट्र में भी योगी का प्रभाव

झारखंड के बाद अब महाराष्ट्र में भी योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कटोगे' नारा सुर्खियों में है. बीजेपी के नेता इसे बढ़-चढ़कर लगा रहे हैं और लोगों से एकजुट रहने की अपील कर रहे हैं. बीजेपी को लगता है कि मुसलमानों का वोट एकजुट होकर विरोधी दलों को मिलता है, लेकिन हिंदू समुदाय के विभाजन का फायदा पार्टी के विरोधी उठाते हैं. इसीलिए बीजेपी के नेता हिंदू समाज को याद दिला रहे हैं कि अगर वे जातियों में बंटे रहे तो हिंदू समाज को वही खतरा होगा जो बांग्लादेश में आया था. 

चुनावी नारे जनता के मन में कितना असर

योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कटोगे' नारा इन चुनावों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक उपकरण बन चुका है। इसके जरिए वह लोगों को एकजुट होने का संदेश दे रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे एक विभाजनकारी रणनीति के रूप में देख रहा है। अब यह देखना होगा कि चुनावी नारे जनता के मन में कितना असर छोड़ते हैं और किसे सफलता मिलती है।

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07 November 2024, 02:26 PM IST

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