'ब्लैक कॉमेडी अपने सबसे काले दौर में', योगी आदित्यनाथ के तंज पर स्टालिन की टिप्पणी
डीएमके सरकार ने केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषाओं को शामिल करने के कदम को चुनौती दी है और उस पर दक्षिणी राज्यों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है. भाजपा ने डीएमके पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया है. भाषा के मुद्दे पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि डीएमके हिंदी के खिलाफ क्यों है और कहा कि हर भाषा सीखना जरूरी है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तीन-भाषा विवाद पर आलोचना का तीखा जवाब देते हुए तमिलनाडु के उनके सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि फायरब्रांड नेता की टिप्पणी विडंबना नहीं है, बल्कि 'सबसे काली राजनीतिक कॉमेडी है'. डीएमके नेता ने कहा है कि तमिलनाडु किसी भी भाषा का विरोध नहीं करता है, लेकिन 'थोपने और अंधराष्ट्रवाद' के खिलाफ है और भाजपा उनके रुख से घबरा गई है. एक इंटरव्यू में आदित्यनाथ ने डीएमके नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि वह क्षेत्र और भाषा के आधार पर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका वोट बैंक खतरे में है.
डीएमके ने लगाया राजनीतिकरण का आरोप
डीएमके सरकार ने केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषाओं को शामिल करने के कदम को चुनौती दी है और उस पर दक्षिणी राज्यों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है. भाजपा ने डीएमके पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया है. तमिलनाडु और केंद्र के बीच एक और टकराव परिसीमन अभ्यास है. डीएमके ने तर्क दिया है कि परिसीमन अभ्यास, जो 2026 के बाद किए जाने की उम्मीद है, दक्षिणी राज्यों को नुकसान में डाल देगा.
सीएम स्टालिन ने कहा है कि इन राज्यों ने वर्षों से परिवार नियोजन को प्रभावी ढंग से लागू किया है और जब जनसांख्यिकीय परिवर्तन के आधार पर परिसीमन किया जाता है तो यह जनसंख्या नियंत्रण उनके खिलाफ काम कर सकता है. उन्होंने कहा कि इससे जनसंख्या नियंत्रण में महत्वपूर्ण उपलब्धि और देश की जीडीपी में योगदान के बावजूद दक्षिणी राज्यों को संसद में कम बोलने का मौका मिलेगा.
डीएमके हिंदी के खिलाफ क्यों है?
भाषा के मुद्दे पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि डीएमके हिंदी के खिलाफ क्यों है और कहा कि हर भाषा सीखना जरूरी है. देश को भाषा या क्षेत्र के आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए. हम वाराणसी में काशी-तमिल संगमम की तीसरी पीढ़ी के आयोजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के आभारी हैं. तमिल भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है और इसका इतिहास संस्कृत जितना ही पुराना है. तमिल के प्रति हर भारतीय का सम्मान और श्रद्धा है क्योंकि इस भाषा में भारतीय विरासत के कई तत्व अभी भी जीवित हैं. हमें फिर हिंदी से नफरत क्यों करनी चाहिए?"
उनका वोट बैंक खतरे में है
डीएमके के रुख को संकीर्ण राजनीति बताते हुए उन्होंने कहा कि जब इन लोगों को लगता है कि उनका वोट बैंक खतरे में है, तो वे भाषा और क्षेत्र के बेस पर विभाजन पैदा करने की कोशिश करते हैं. इस देश के लोगों को ऐसी विभाजनकारी राजनीति के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए और देश की एकता के लिए दृढ़ रहना चाहिए.
एक्स पर एक पोस्ट में स्टालिन ने कहा कि दो-भाषा और परिसीमन पर तमिलनाडु का रुख पूरे देश में गूंज रहा है और भाजपा परेशान है. अब माननीय योगी आदित्यनाथ हमें नफरत पर व्याख्यान देना चाहते हैं? हमें छोड़ दें.उन्होंने कहा कि यह विडंबना नहीं है, यह राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी का सबसे काला रूप है. हम किसी भाषा के विरोधी नहीं हैं. हम थोपने और अंधराष्ट्रवाद का विरोध करते हैं. यह वोट बैंक की राजनीति नहीं है . यह सम्मान और न्याय की लड़ाई है.