'लोकतंत्र के लिए काला दिन', संसद में वक्फ संशोधन बिल के पास होने पर विपक्ष का मोदी सरकार को घेरा
Waqf Amendment Bill 2025: संसद में शुक्रवार को वक्फ संशोधन बिल के पास होने के बाद विपक्ष ने इसे लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों के लिए बड़ा झटका बताया. कांग्रेस, डीएमके, सपा और टीएमसी सहित कई विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए सरकार पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया.

Waqf Amendment Bill 2025: संसद में शुक्रवार को वक्फ संशोधन बिल के पास होने के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. विपक्षी दलों ने इस विधेयक को संविधान विरोधी बताते हुए इसे 'लोकतंत्र के लिए काला दिन' करार दिया. विपक्ष ने सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने और विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया. इस बीच, सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार के लिए लाया गया है.
राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि विपक्ष द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया. लोकसभा में इसे 288 वोटों के समर्थन और 232 विरोधी मतों के साथ पारित किया गया. विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे अदालत में चुनौती देने की चेतावनी दी.
विपक्ष का कड़ा विरोध
विधेयक पारित होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने "नकारात्मक रवैया" अपनाया और विपक्ष की चिंताओं को अनसुना कर दिया. उन्होंने कहा, "हमने विधेयक पर अपने विचार रखे, लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की और इसे जबरन पारित कर दिया."
डीएमके सांसद एमएम अब्दुल्ला ने इसे अल्पसंख्यकों के लिए 'काला दिन' बताते हुए कहा, "मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि हम इसे अदालत में चुनौती देंगे."
सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने भी विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है, लेकिन संख्याबल के आधार पर इसे पारित करा लिया गया.
सरकार पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सरकार पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "संशोधन के पक्ष में 125 से 92 और विधेयक पारित करने के पक्ष में 128 से 95 वोट पड़े. बड़ी संख्या में सांसदों ने इसका विरोध किया है. इसका राजनीतिक असर पड़ेगा, खासकर बिहार चुनावों में."
आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने इस विधेयक की तुलना कृषि कानूनों से करते हुए कहा, "यदि सरकार ने इसे जबरन लागू किया, तो इसके परिणाम भी कृषि कानूनों की तरह ही हो सकते हैं."
न्यायपालिका में चुनौती देने की तैयारी
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है और यदि इसे न्यायपालिका में चुनौती दी जाती है, तो इसे असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है. वहीं, टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने इसे "संविधान विरोधी" करार दिया और कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा.
सरकार का बचाव
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर भ्रामक प्रचार का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के करोड़ों लोगों के हित में है. उन्होंने कहा कि इसमें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को शामिल किया गया है और इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी.
विधेयक का उद्देश्य
सरकार के अनुसार, इस विधेयक का उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन कर उसकी खामियों को दूर करना, वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता बढ़ाना और पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है. इसमें प्रौद्योगिकी के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने का भी प्रावधान किया गया है.