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'हर जगह लाशें... लोग नंगे पैर भाग रहे थे', टट्टू ऑपरेटर संघ के प्रमुख ने बयां की पहलगाम हमले की भयावह दांस्ता

रईस अहमद भट्ट ने बताया कि जब यह घटना हुई मैं अपने ऑफिस में बैठा था. दोपहर करीब ढाई बजे मुझे हमारी यूनियन के महासचिव का संदेश मिला. जैसे ही मैंने संदेश देखा मैंने उन्हें फोन किया, लेकिन नेटवर्क की समस्या थी. इसलिए आवाज स्पष्ट नहीं थी. इसलिए, मैं अकेला ही चला गया.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों की हृदय विदारक कहानियों के बीच साहस और निस्वार्थता की प्रेरक कहानियां भी सामने आ रही हैं, जो देश के लोगों को इस दुख से उबरने की ताकत दे रही हैं. साहस की ऐसी ही एक कहानी पहलगाम में पोनी ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रईस अहमद भट्ट की है, जिन्हें बैसरन घाटी में आतंकवादी हमले के दौरान पांच घायल पर्यटकों को बचाने के बाद 'पहलगाम के हीरो' के रूप में सम्मानित किया जा रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, हमले की जानकारी मिलते ही भट्ट तुरंत हरकत में आ गए और दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी. अपने दफ्तर से अकेले बाहर निकलते हुए उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया. भट्ट ने याद किया कि हिंसा वाली जगह पर पहुंचते समय उन्होंने सोचा था. अगर हमलावर अभी भी यहां हैं और हम भी मारे गए तो कोई बात नहीं.

भट्ट ने बताया कि जब यह घटना हुई मैं अपने ऑफिस में बैठा था. दोपहर करीब ढाई बजे मुझे हमारी यूनियन के महासचिव का संदेश मिला. जैसे ही मैंने संदेश देखा मैंने उन्हें फोन किया, लेकिन नेटवर्क की समस्या थी. इसलिए आवाज स्पष्ट नहीं थी. इसलिए, मैं अकेला ही चला गया. रास्ते में मुझे दो या तीन लोग मिले और मैंने उनसे मेरे साथ चलने को कहा. कुल मिलाकर हम पांच या छह लोग हो गए.

हर जगह लाशें... लोग नंगे पैर, कीचड़ में सने हुए भाग रहे थे

जब वे घटनास्थल के पास पहुंचे तो उन्हें एक भयावह दृश्य देखने को मिला. भयभीत पर्यटक नंगे पांव भाग रहे थे. कीचड़ में सने हुए थे और पानी के लिए गुहार लगा रहे थे. भट्ट ने बताया कि उन्होंने मदद की पेशकश की, यह सुनिश्चित किया कि घायल और परेशान लोग शांत रहें और उन्हें पानी पिलाया जाए. उन्होंने कहा कि जब हम एस से दो किमी ऊपर चढ़े, तो हमने देखा कि डरे हुए लोग नंगे पांव, कीचड़ में सने, बहुत बुरी हालत में नीचे भाग रहे थे. वे केवल चिल्ला रहे थे, 'पानी! पानी!' इसलिए हमने मदद करने की कोशिश की. हमने जंगल से आने वाली पानी की आपूर्ति से एक पाइप तोड़ा और उन्हें पानी दिया, उन्हें दिलासा दिया और उनसे कहा कि अब आप सुरक्षित क्षेत्र में हैं. चिंता न करें.' मैंने उन्हें चार या पांच लोगों की अपनी टीम को सौंप दिया और उन्हें शांति से वापस नीचे भेज दिया. हमारा पहला प्रयास डरे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना था."

पहलगाम में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ

रईस भट्ट ने आगे बढ़ते गए. उन्होंने बचाव कार्य में और अधिक टट्टू सवारों को शामिल होने के लिए मनाया. उन्होंने कहा कि फिर हम आगे बढ़ते रहे. रास्ते में लोग कीचड़ में पड़े थे. हमने उनकी मदद की और उन्हें घोड़ों पर वापस भेज दिया. भट्ट ने घटनास्थल पर पहुंचकर विचलित करने वाले दृश्य देखे . पहली चीज जो मैंने देखी वह मुख्य द्वार पर एक शव था, वह प्रवेश द्वार जहां से पर्यटक प्रवेश करते हैं. मैं स्तब्ध रह गया. मैं 35 साल का हूं और पहलगाम में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ." उन्होंने कहा कि फिर, जब मैं अंदर गया, तो मैंने हर जगह शव देखे.  केवल 3 या 4 महिलाएं थीं, जो अपने लोगों को बचाने की गुहार लगा रही थीं.

इस मौके पर भट्ट के साथ दो अन्य लोग भी मौजूद थे, जिनमें यूनियनों के महासचिव अब्दुल वाहिद और स्थानीय शॉल विक्रेता सज्जाद अहमद भट्ट शामिल थे, जिनका एक लड़के को कंधे पर उठाकर ले जाने का वीडियो ऑनलाइन वायरल हो गया था. भट्ट ने बताया कि करीब 10 मिनट बाद एसएचओ रियाज साहब आ गए. वे फोन पर हमसे संपर्क में थे. उन्होंने बताया कि उस दिन सड़कें बंद होने और भूस्खलन के कारण पर्यटकों की संख्या कम थी.

पैदल ही भागना पड़ा

पुलिस की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर भट्ट ने देरी के बारे में बताया. वहां तक ​​कोई मोटर वाहन चलने लायक सड़क नहीं है. उन्हें पैदल ही वहां भागना पड़ा. हम स्थानीय लोग जंगल के रास्ते शॉर्टकट जानते हैं, इसलिए हम सबसे छोटे रास्ते से जल्दी पहुंच गए. दूसरे लोग शॉर्टकट नहीं जानते, इसलिए उन्होंने लंबा रास्ता लिया और 10 मिनट बाद वहां पहुंचे.

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26 April 2025, 07:39 PM IST

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