'अहंकार से काम नहीं कर सकते...', मुख्य चुनाव आयुक्त की बैठक के बाद आया कांग्रेस का बड़ा बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम नए मुख्य चुनाव आयुक्त को लेकर बैठक हुई. मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए.

मुख्य चुनाव आयुक्त (चीफ इलेक्शन कमिश्नर) के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें नए सीईसी के नाम को लेकर चर्चा की गई. बैठक में पीएम मोदी के साथ-साथ गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए. बैठक के बाद कांग्रेस ने कहा कि अहंकार से काम नहीं कर सकते, 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार करें.
चुनाव आयोग की नियुक्ति में शामिल हों चीफ जस्टिस
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमारी मांग है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाली कमेटी में भारत के चीफ जस्टिस को होना चाहिए. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. चुनाव आयोग की नियुक्ति में चीफ जस्टिस को होना चाहिए. एक स्वतंत्र चुनाव आयोग होना चाहिए. हाल ही में चुनाव आयोग को लेकर बहुत सवाल उठे हैं. उन्होंने कहा, कांग्रेस की मांग है कि जब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, तब तक चुनाव आयुक्त के चयन को लेकर होने वाली बैठक पर रोक रहनी चाहिए.
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, आप सबको पता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन को लेकर आज बैठक थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 19 फरवरी को इस विषय पर सुनवाई होगी और फैसला सुनाया जाएगा कि कमेटी का संविधान किस तरीके से होना चाहिए. ऐसे में आज की बैठक को टालना चाहिए था.
18 फरवरी को रिटायर हो रहे राजीव कुमार
आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का कार्यकाल कल यानी 18 फरवरी को खत्म हो रहा है. राजीव कुमार को 15 मई 2022 को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्होंने कई विधानसभा चुनाव कराए, जिसमें 2024 का लोकसभा चुनाव भी शामिल है. हालांकि, कुमार का कार्यकाल विवादों भरा भी रहा है. विपक्ष ने सीईसी राजीव कुमार पर कई आरोप लगाए, जिसका जवाब उन्होंने शायरी के जरिए दिया.
कौन करेगा नियुक्ति?
दरअसल, निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य आयुक्त की नियुक्ति के लिए स्थापित तीन सदस्यीय चयन मंडल में प्रधानमंत्री के अलावा प्रधानमंत्री के मनोनीत प्रतिनिधि के रूप में नामित केंद्रीय मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी होंगे. पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होती थी. रिटायर होने वाले मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जाती थी, लेकिन अब नए वैधानिक प्रावधानों के तहत चयन समिति बहुमत या सर्वसम्मति से नए निर्वाचन आयुक्त या मुख्य निर्वाचन आयुक्त का चयन करेगी.
ये है चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का पूरा प्रोसेस
CEC और EC की नियुक्ति पर नया कानून लागू हुआ है. नए कानून के मुताबिक, सबसे पहले कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी होती है कि वो मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करे. ये नाम वो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी के पास भेजेगा. चयन कमेटी के पास अधिकार हैं कि वो शॉर्ट लिस्ट उम्मीदवार या उससे अलग किसी अन्य कैंडिडेट के नाम की सिफारिश भी कर सकती है.
चयन कमेटी अपनी सिफारिश के नाम को राष्ट्रपति के पास भेजेगी. उसके बाद राष्ट्रपति इस कैंडिडेट के नाम पर अंतिम मुहर लगाएंगे और नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. बाद में नियुक्त CEC या EC निर्वाचन आयोग में शपथ लेगा और अपने कामकाज को संभालेगा. चयन कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएम की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होते हैं.
पहले चयन कमेटी के पैनल में कौन था?
पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी चयन कमेटी में शामिल थे. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से दिसंबर 2023 में नया कानून लाया गया है. इसके मुताबिक, सीजेआई की जगह पैनल में केंद्रीय मंत्री को रखा गया है. इससे पहले सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाती थी और परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ अधिकारी को CEC के रूप में नियुक्त किया जाता था.
CEC और EC का कितना होता है कार्यकाल?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है. सीईसी की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है.


