'कांग्रेस को माफी मांगने की जरूरत नहीं' इमरजेंसी के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन एकजुट
आपातकाल के मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक पार्टियों के नेताओं ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा इस प्रावधान को लागू करना अतीत की बात हो चुकी है और वे भाजपा की इस मांग से सहमत नहीं हैं कि कांग्रेस को इसके लिए ‘माफी’ मांगनी चाहिए. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि वे सदन में ओम बिरला की टिप्पणी पर कांग्रेस के विरोध में शामिल नहीं हुए, लेकिन समाजवादी पार्टी के बलिया सांसद सनातन पांडे ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कांग्रेस माफ़ी मांगेगी या उसे माफ़ी मांगनी चाहिए.
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नई संसद की कार्यवाही की शुरुआत ही हंगामे से भरी हुई थी. पहले ही दिन इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर चौतरफा हमला बोलते हुए भाजपा ने कहा है कि इस मुद्दे पर उसके अपने सहयोगी भी एकमत नहीं हैं. दरअसल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा आपातकाल के खिलाफ प्रस्ताव पढ़ा था.
जिसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस सदस्य विरोध में सदन के आसन के पास आ गए थे, जबकि समाजवादी पार्टी , द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अपनी सीटों पर बैठे रहे, और उन्होंने कहा कि सपा के मुलायम सिंह यादव, राजद के लालू प्रसाद और द्रमुक के एम करुणानिधि , टीआर बालू और एमके स्टालिन सभी को आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिया गया था.
इंडिया ब्लॉक एकजुट
आपातकाल के मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक पार्टियों के नेताओं ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा इस प्रावधान को लागू करना अतीत की बात हो चुकी है और वे भाजपा की इस मांग से सहमत नहीं हैं कि कांग्रेस को इसके लिए ‘माफी’ मांगनी चाहिए.
कांग्रेस के विरोध में शामिल नहीं हुए सहयोगी दल
हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि वे सदन में ओम बिरला की टिप्पणी पर कांग्रेस के विरोध में शामिल नहीं हुए, लेकिन समाजवादी पार्टी के बलिया सांसद सनातन पांडे ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कांग्रेस माफ़ी मांगेगी या उसे माफ़ी मांगनी चाहिए. पांडे ने कहा, "हमें उस समय की स्थिति की तुलना वर्तमान स्थिति से करनी चाहिए. साथ ही, आपातकाल 1975 से 1977 तक चला. इतने सालों बाद 18वीं लोकसभा में भाजपा द्वारा ऐसे मुद्दे उठाना किसी भी तरह से लोकतंत्र के हित में नहीं है. यह केवल लोकतंत्र को कमजोर करता है."
सपा ने दिया सर्मथन
सपा सांसद ने कहा कि भाजपा सरकार का ऐसा कदम इस बात का सबूत है कि उसके पास कोई दृष्टिकोण नहीं है और वह बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचना चाहती है. "अगर भाजपा को वास्तव में आपातकाल से इतनी पीड़ा है, तो सरकार को इसके खिलाफ लड़ने वालों को उचित सम्मान देना चाहिए."
आरजेडी ने भी दिया सर्मथन
वहीं आरजेडी के औरंगाबाद सांसद अभय कुंअर सिन्हा ने कहा कि उनकी पार्टी ने आपातकाल पर अध्यक्ष की टिप्पणी के खिलाफ सदन में कांग्रेस के विरोध का समर्थन किया है और कहा कि भाजपा केवल एनईईटी परीक्षा पर विवाद जैसे ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए यह मुद्दा उठा रही है. सिन्हा ने कहा कि विपक्ष नीट पर बहस चाहता है लेकिन सरकार अपनी “विफलताओं” को छिपाने के लिए मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रही है.
डीएमके ने कहा कि कांग्रेस पहले ही आपातकाल की ज्यादतियों पर कई बार खेद व्यक्त कर चुकी है और अब उसे और माफी मांगने की जरूरत नहीं है. डीएमके सांसद कलानिधि वीरस्वामी ने कहा , "क्या कांग्रेस में किसी ने आपातकाल को उचित ठहराया है? देश को प्रभावित करने वाले मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इसे कितनी बार उठाया जाएगा?"