'शराब घोटाले के आरोप में जेल गए और अब हारे चुनाव', केजरीवाल के लिए अशुभ साबित हुआ शीशमहल
शीशमहल केजरीवाल के लिए काफी अशुभ रहा और वो इसमें रह ही नहीं पाए. पहले उन्हें जेल जाना पड़ा और अब क्या बीजेपी का सीएम शीश महल में जाकर रहेगा? एक बड़ा सवाल ये भी है कि बीजेपी जिस नेता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएगी, क्या वो मुख्यमंत्री इस शीशमहल में जाकर रहेगा? और इस शीशमहल का अब होगा क्या? क्या इसकी भी जांच कराई जाएगी?

दिल्ली के विधानसभा चुनाव नतीजों के साथ ही स्पष्ट हो गया है कि अरविंद केजरीवाल की अब शीश महल में वापसी नहीं होगी. केजरीवाल ने इसे करोड़ों रुपये खर्च करके बनाया था. असल में ये शीशमहल केजरीवाल के लिए काफी अशुभ रहा और वो इसमें रह ही नहीं पाए. पहले उन्हें जेल जाना पड़ा और अब क्या बीजेपी का सीएम शीश महल में जाकर रहेगा?
एक बड़ा सवाल ये भी है कि बीजेपी जिस नेता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएगी, क्या वो मुख्यमंत्री इस शीशमहल में जाकर रहेगा? और इस शीशमहल का अब होगा क्या? क्या इसकी भी जांच कराई जाएगी? पिछले साल केजरीवाल ने ये कहते हुए मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था कि अब वह तभी सरकार का नेतृत्व करेंगे, जब जनता चुनावों में उन्हें वोट देकर शराब घोटाले के आरोपों से मुक्त कर देगी.
AAP की टॉप लीडरशिप को मिली शिकस्त
केजरीवाल कहा करते थे कि अगर जनता उन्हें जेल में देखना चाहती है तो वो बीजेपी को वोट दे सकती है और आज ऐसा ही हुआ, और लोगों ने केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर भी अपना फैसला सुना दिया. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसके 48 यानी 69 प्रतिशत उम्मीदवार आज चुनाव हार गए हैं, और इनमें कई बड़े नेताओं के नाम हैं. हार गए हैं.
नई दिल्ली सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 4 हजार वोट से हार गए. जंगपुरा सीट से मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हार गए. ग्रेटर कैलाश से सौरभ भारद्वाज 3 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए. मालवीय नगर से सोमनाथ भारती 2100 वोट से हार गए, और शकूर बस्ती से सत्येंद्र जैन 21 हजार वोट से हार गए. इनमें केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन, कुछ समय पहले तक जेल में थे और बाद में जमानत पर बाहर आकर उन्होंने ये चुनाव लड़ा था.
केजरीवाल के भविष्य पर बड़ा प्रश्नचिन्ह?
दिल्ली के चुनावी नतीजों ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के भविष्य पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया. साल 2013 में जिस दिल्ली से केजरीवाल ने राजनीति में चौंकाने वाली राजनीति का आगाज किया था. उसी दिल्ली ने केजरीवाल के करिश्मे की कहानी पर विराम लगा दिया. केजरीवाल के हाथ से दिल्ली की सत्ता को बीजेपी ने छीन लिया.
आम आदमी पार्टी को 40 सीटों का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. अगर वोट शेयर की बात करें तो 2020 के विधानसभा चुनाव में 54 फीसदी वोट हासिल किया था, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी का वोट शेयर 44 फीसदी पर आ गया. मतलब 10 फीसदी वोट का घाटा आम आदमी पार्टी को हुआ, वोट शेयर में आई यही गिरावट अरविंद केजरीवाल को मिली शिकस्त की सबसे बड़ी वजह बन गई.