मध्य प्रदेश. छतरपुर जिले के एक गाय पालक ने बताया कि उनकी गाय गौरी अत्यधिक बुद्धिमान है. गौरी न केवल खुद से खेतों में घास चरती है, बल्कि अपने घर भी वापस लौट आती है. आमतौर पर गायों को चरा-चरी के दौरान किसी की मदद की आवश्यकता होती है, लेकिन यह गाय पूरी तरह से अपने काम खुद करती है, जिससे उसके मालिक का जीवन बहुत आसान हो जाता है.
गायों की देखभाल: भैंसों से सस्ता और आसान
कुचबिहारी का कहना है कि गायों की देखभाल भैंसों की तुलना में सस्ती और आसान है, क्योंकि गायों को कम संसाधनों और समय की जरूरत होती है. गौरी अपनी भोजन और पानी की जरूरतों का ध्यान खुद रखती है, जो उसे और भी विशेष बनाती है. पहले कुचबिहारी भैंसें पाला करते थे, लेकिन गुरुजी की सलाह पर उन्होंने गायों को पालना शुरू किया. अब, गौरी उनके परिवार का हिस्सा बन चुकी है और एक खास स्थान रखती है.
गौरी का घर में विशेष स्थान
गौरी जब भी भूखी होती है, सीधे रसोई में जाकर खाना खाती है और प्यास लगने पर आंगन में पानी पीने जाती है. गौरी को परिवार का सदस्य माना जाता है क्योंकि वह घर में जन्मी और पली-बढ़ी है, और सभी परिवार के लोगों से अच्छी तरह परिचित है. वह अपने नाम पर प्रतिक्रिया करती है और अक्सर कुचबिहारी के पीछे-पीछे घर में घूमती रहती है जैसे एक पालतू कुत्ता. इसके अलावा, गौरी को पड़ोस के घरों में भी पसंद किया जाता है.
विशेष अवसरों पर गौरी की उपस्थिति
गौरी का परिवार के साथ संबंध और भी गहरा है क्योंकि वह घर के माहौल से बहुत परिचित है. विशेष अवसरों पर जैसे त्योहारों या पूजा के दिन, गौरी स्वाभाविक रूप से घर के प्रवेश द्वार पर नजर आती है, जैसे वह किसी उत्सव या खास दिन के बारे में पहले से जानती हो.
गायों के प्रति मानवता का एक और उदाहरण
इसी तरह एक वायरल वीडियो में एक दुकानदार को अपनी गाय के साथ बच्चे की तरह व्यवहार करते हुए दिखाया गया है. वह गाय को अपनी साड़ी की दुकान में बिठाकर आराम से अपनी चटाई पर लेटने देता है और उसे प्यार से सिर सहलाता है. यह दृश्य लाखों लोगों द्वारा देखा गया और टिप्पणियों में दुकानदार की दयालुता और स्नेह की सराहना की गई. इस प्रकार, गौरी जैसी गायें केवल पशु नहीं होतीं, बल्कि वे परिवार के सदस्य की तरह बन जाती हैं और अपने मालिकों के साथ एक गहरे रिश्ते में बंधी रहती हैं. First Updated : Wednesday, 06 November 2024