score Card

'हिंदी सीखना बेहतर है', केंद्र और तमिलनाडु के बीच भाषा विवाद पर चंद्रबाबू नायडू का बड़ा बयान

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि वह भाषाओं में मूल्य देखते हैं और कई भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देते हैं. केंद्र का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि 'हिंदी सीखना बेहतर है' क्योंकि इससे लोगों को एक-दूसरे के साथ आसानी से घुलने-मिलने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि मैं हर विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं सहित 10 भाषाओं को बढ़ावा देने जा रहा हूं. छात्र वहां जाकर पढ़ाई कर सकते हैं और काम कर सकते हैं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

केंद्र और तमिलनाडु के बीच तीन-भाषा नीति को लेकर चल रही राजनीतिक खींचतान के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने एक अलग रास्ता अपनाया है और हिंदी सहित बहुभाषी शिक्षा की वकालत की है. नायडू ने कहा कि भाषा केवल संचार का एक साधन है. आप सभी जानते हैं कि तेलुगु, कन्नड़, तमिल और अन्य भाषाएँ विश्व स्तर पर चमक रही हैं. ज्ञान अलग है, भाषा अलग है.

तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके के विपरीत, जिसने तीन-भाषा नीति को खारिज कर दिया है, नायडू ने कहा कि वह भाषाओं में मूल्य देखते हैं और कई भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देते हैं. केंद्र का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि 'हिंदी सीखना बेहतर है' क्योंकि इससे लोगों को एक-दूसरे के साथ आसानी से घुलने-मिलने में मदद मिलेगी. 

10 भाषाओं को बढ़ावा देने जा रहा- चंद्रबाबू नायडू

आंध्र के सीएम ने कहा कि मैं हर विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं सहित 10 भाषाओं को बढ़ावा देने जा रहा हूं. छात्र वहां जाकर पढ़ाई कर सकते हैं और काम कर सकते हैं. उन्हें आपकी सेवाओं की जरूरत है. केवल तीन भाषाओं को ही नहीं, मैं बहु-भाषाओं को बढ़ावा दूंगा. हमें तेलुगु को बढ़ावा देना था. हमें अंग्रेजी को भी बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि यह आजीविका के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है. हिंदी सीखना बेहतर है ताकि हम लोगों के साथ आसानी से घुल-मिल सकें. 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने "हिंदी थोपने" के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया नायडू की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य की स्वायत्तता, दो-भाषा नीति और 'हिंदी थोपने' के विरोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर निशाना साधा. 

हिंदी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा- स्टालिन

स्टालिन ने पहले कहा था कि राज्य सरकार तमिल भाषा को जबरन थोपने की अनुमति नहीं देगी और तमिल और इसकी संस्कृति की रक्षा करने की कसम खाई थी. पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि हिंदी थोपे जाने का विरोध किया जाएगा. स्टालिन ने कहा कि हिंदी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है.

सत्तारूढ़ डीएमके राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत त्रिभाषा फार्मूले के माध्यम से केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रही है, हालांकि केंद्र सरकार ने इस आरोप का खंडन किया है. यह मुद्दा तब से दोनों के बीच विवाद का विषय बन गया है, जिसके कारण स्टालिन ने घोषणा कर दी कि राज्य 'एक और भाषा युद्ध' के लिए तैयार है, जैसा कि 1965 में डीएमके द्वारा चलाया गया हिंदी विरोधी आंदोलन था.

calender
07 March 2025, 09:45 AM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag