'बांग्लादेश को तोड़ देना ही बेहतर होगा', यूनुस के बयान को पूर्वोत्तर के नेताओं ने बताया भड़काऊ
पिछले सप्ताह चीन की अपनी यात्रा के दौरान एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान यूनुस ने बीजिंग से आग्रह किया कि वह भारत के भूमि से घिरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 'महासागर के एकमात्र संरक्षक' के रूप में अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाकर बांग्लादेश में आर्थिक पैर जमाए. उनके इस बयान की भारत के सभी राजनीतिक दलों ने कड़ी निंदा की है. यूनुस की टिप्पणियों पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की तथा इसे भड़काऊ और अस्वीकार्य बताया.

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस एक चीन में भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों का जिक्र कर एक बार फिर दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ाने का प्रयास किया है. यूनुस ने चीन को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि इंडिया के पूर्वोत्तर राज्य चारों ओर से भूमि से घिरे हुए. उन्होंने चीन को बांग्लादेश में निवेश करने के लिए भी आमंत्रित किया. मुहम्मद यूनुस की इस टिप्पणी का भारत के सभी राजनीतिक दलों ने तीखी निंदा की है.
मुहम्मद यूनुस ने क्या कहा?
पिछले सप्ताह चीन की अपनी यात्रा के दौरान एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान यूनुस ने बीजिंग से आग्रह किया कि वह भारत के भूमि से घिरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 'महासागर के एकमात्र संरक्षक' के रूप में अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाकर बांग्लादेश में आर्थिक पैर जमाए.
यूनुस का बयान भड़काऊ- सरमा
यूनुस की टिप्पणियों पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की तथा इसे भड़काऊ और अस्वीकार्य बताया. असम सीएम सरमा ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "बांग्लादेश की तथाकथित अंतरिम सरकार के मोहम्मद यूनुस द्वारा दिया गया बयान अपमानजनक और कड़ी निंदा के योग्य है. यह टिप्पणी भारत के रणनीतिक 'चिकन नेक' कॉरिडोर से जुड़ी लगातार कमजोरियों की ओर इशारा करती है.
सरमा ने चेतावनी दी कि इस तरह के बयानों में गहरी रणनीतिक सोच और दीर्घकालिक एजेंडे को दर्शाया गया है, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, भारत के भीतर के आंतरिक तत्वों ने भी पूर्वोत्तर को मुख्य भूमि से भौतिक रूप से अलग करने के लिए इस महत्वपूर्ण मार्ग को काटने का खतरनाक सुझाव दिया है.
ऐसे खतरों से निपटने के लिए सरमा ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि चिकन नेक कॉरिडोर के नीचे और उसके आसपास और अधिक मजबूत रेलवे और सड़क नेटवर्क विकसित करना जरूरी है." उन्होंने कहा कि कमजोर कॉरिडोर को बायपास करने वाले वैकल्पिक सड़क मार्गों की भी खोज की जानी चाहिए.
बांग्लादेश को ताड़ देना चाहिए
टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत माणिक ने और भी अधिक तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुझाव दिया कि भारत को समुद्र तक अपनी पहुंच सुरक्षित करने के लिए अधिक आक्रामक रुख अपनाना चाहिए. माणिक ने कहा, "नवीन और चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग विचारों पर अरबों डॉलर खर्च करने के बजाय, हम बांग्लादेश को तोड़कर समुद्र तक अपनी पहुंच बना सकते हैं." उन्होंने कई ट्वीट करके 1947 में चटगांव बंदरगाह पर नियंत्रण छोड़ने के भारत के फैसले को 'देश की सबसे बड़ी गलती' बताया. रणनीतिक समुद्री मार्ग की वकालत करते हुए उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह चटगांव पर ऐतिहासिक रूप से शासन करने वाले स्वदेशी समूहों का समर्थन करके बांग्लादेश पर अपनी निर्भरता कम करे.
माणिक ने कहा कि चटगांव पहाड़ी इलाकों में हमेशा से ही स्थानीय जनजातियां निवास करती रही हैं, जो 1947 से ही भारत का हिस्सा बनना चाहती थीं. बांग्लादेश में लाखों की संख्या में त्रिपुरी, गारो, खासी और चकमा लोग अपनी पारंपरिक भूमि पर भयानक परिस्थितियों में रह रहे हैं. इसका उपयोग हमारे राष्ट्रीय हित और उनकी भलाई के लिए किया जाना चाहिए.
विदेश नीति की स्थिति दयनीय- पवन खेड़ा
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी यूनुस की टिप्पणी की निंदा की और क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से उत्पन्न रणनीतिक खतरे की चेतावनी दी. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर पूर्वोत्तर की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया. खेड़ा ने हिंदी में लिखा, "बांग्लादेश भारत को घेरने के लिए चीन को आमंत्रित कर रहा है. बांग्लादेश सरकार का यह रवैया हमारे पूर्वोत्तर की सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक है. सरकार मणिपुर की सुध नहीं ले रही है और चीन पहले ही अरुणाचल में गांव बसा चुका है." उन्होंने कहा कि हमारी विदेश नीति इतनी दयनीय स्थिति में है कि जिस देश के निर्माण में भारत की प्रमुख भूमिका थी, वह आज हमारे खिलाफ लामबंदी करने में लगा हुआ है.
यूनुस की टिप्पणी ढाका में राजनीतिक परिवर्तन के बाद भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच बांग्लादेश के चीन की ओर झुकाव को दर्शाती है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर चिंताएं फिर से बढ़ गई हैं.