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नागपुर का वही इलाका और वैसा ही पैटर्न, क्या आपको है मालूम? 98 साल पहले भी 'महल' में हुए थे भीषण दंगे

नागपुर के महल इलाके में बीते कई दशकों से कोई धार्मिक उन्माद का मामला सामने नहीं आया. लेकिन कई लोगों को मालूम नहीं होगा कि आज से 98 साल पहले 1927 में भी नागपुर के इसी महल इलाके में भीषण दंगा हुआ था, जिसमें 13 RSS कार्यकर्ताओं समेत कुल 25 लोगों की मौत हुई थी. इस हमले में 180 लोग घायल हुए थे.

​​Nagpur Riots: नागपुर शहर में सोमवार की शाम को हुई हिंसा ने कई पुराने विवादों की याद दिला दी. कारों को आग के हवाले कर दिया गया, दुकानों को तोड़ा गया और तांडव इतना बढ़ गया कि तीन DCP स्तर के अधिकारियों सहित एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि छह आम नागरिक भी गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से एक ICU में भर्ती है. 

इस घटना के बाद सरकार सक्रिय हो गई और सुरक्षा बलों ने फ्लैगमार्च किया. फिलहाल, शांति कायम है, लेकिन माहौल तनावपूर्ण है. महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन प्यारे खान ने कहा कि नागपुर एक संतों की धरती है और यहां ऐसी घटनाएं पहले कभी नहीं हुई थीं.

शोभायात्रा पर मुस्लिमों ने किया था हमला

यह सही है कि पिछले कई दशकों में नागपुर में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़पें नहीं हुईं, लेकिन अगर हम 100 साल पीछे जाएं, तो नागपुर में एक भीषण दंगा हुआ था. यह दंगा महल इलाके में हुआ था, वही इलाका जहां सोमवार को हिंसा हुई थी. यह दंगा 4 सितंबर 1927 को हुआ था, जब हिंदू संगठन लक्ष्मी पूजा के बाद शोभायात्रा निकाल रहे थे और मुस्लिम समुदाय ने उस पर हमला कर दिया था. इस दंगे में 25 लोग मारे गए थे और 180 लोग घायल हुए थे. इस घटना की रिपोर्टिंग न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे बड़े अखबारों ने की थी. उस दंगे का पैटर्न वही था जैसा सोमवार की घटना में देखा गया.

हिंदू घरों को बनाया गया था निशाना

अब 1927 की घटना पर बात करें, तो महालक्ष्मी की शोभायात्रा जब महल इलाके में पहुंची, तो मुस्लिम पक्ष ने उसे रोकने की कोशिश की. यह विवाद हिंसक हो गया और कई हिंदू घरों को निशाना बनाया गया. तीन दिनों तक यह हिंसा चलती रही. इस दौरान RSS के कार्यकर्ता लाठी लेकर सड़कों पर उतरे थे और हमलावर भीड़ का मुकाबला किया था, जो संघ के प्रसार में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ. 

हेडगेवार के घर पर भी हुआ था हमला

कहा जाता है कि इस दंगे के दौरान डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के घर पर भी हमला किया गया था, लेकिन वे उस समय घर पर नहीं थे. इस दंगे में 13 RSS कार्यकर्ताओं की मौत भी हुई थी. इस घटना ने यह साबित कर दिया कि नागपुर में हिंसा का इतिहास बहुत पुराना है, और हाल की हिंसा 1927 के दंगे से कुछ हद तक मेल खाती है.

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18 March 2025, 04:58 PM IST

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