'सास-ससुर की सेवा न करना क्रूरता नहीं', कोर्ट ने सुनाया ये अनोखा फैसला

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शख्स की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी पत्नी पर अपने माता-पिता की सेवा न करने के चलते पत्नी से तलाक लेने की अपनी की थी. कोर्ट ने कहा कि, पति के माता-पिता की सेवा न करना कभी क्रूरता नहीं हो सकता. वह भी तब जब पति-पत्नी ने अपने वैवाहिक घर से दूर हरने का विकल्प चुना हो. न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने क्रूरता के आधार पर अपनी पत्नी से तलाक देने से इनकार करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

JBT Desk
JBT Desk

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है जिसमें कहा गया है कि सास-ससुर की सेवा न करना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता. कोर्ट ने इस बात पर विचार किया कि एक व्यक्ति को अपने सास-ससुर की सेवा करने का कर्तव्य नहीं होता है और इसका मतलब यह नहीं है कि इसे क्रूरता मान लिया जाए. कोर्ट का यह निर्णय एक ऐसे केस के सुनवाई में आया जहां एक शख्स ने अपनी पत्नी को क्रूर बताते हुए तलाक की मांग की थी. 

शख्स ने याचिका में कहा कि उसकी पत्नी उसके बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करने के अपने नैतिक कर्तव्य को निभाने में नाकाम रही थी, जबकि वह पुलिस की नौकरी के दौरान बाहर रहता था. कोर्ट के मुताबिक, हर किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता होती है और किसी को भी अपने सास-ससुर की सेवा के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. यदि पति या पत्नी सास-ससुर की देखभाल नहीं कर रहे हैं, तो इसे क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.

हाईकोर्ट ने शख्स की अपील को किया खारिज 

जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनादि रमेश की खंडपीठ ने मुरादाबाद के इस पुलिसकर्मी की अपील खारिज कर दी. पुलिसकर्मी ने 14 साल पहले मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट में पत्नी के खिलाफ क्रूरता के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की थी. पति का आरोप है कि वह पुलिस की नौकरी में है. ऐसे में उसे दूसरे शहर में रहना होता है. माता-पिता की सेवा के लिए पत्नी को घर छोड़ा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, वह सेवा नहीं करती, इसे क्रूर व्यवहार माना जाए.

हाई कोर्ट में लगाई थी गुहार

इस दलील पर फैमिली कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पुलिसकर्मी की अर्जी खारिज कर दी. इसके बाद उसने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी. हाई कोर्ट ने याचिका को खारित करते हुए कहा कि क्रूरता का आरोप पति की व्यक्तिगत अपेक्षाओं पर आधारित है. इससे क्रूरता के तथ्यों को स्थापित नहीं किया जा सकता. पति ने पत्नी पर किसी तरह की अमानवीय यातना देने जैसा न तो आरोप लगाया है और न ही मामले में ऐसा कोई तथ्य उजागर हो रहा है.

मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट का आदेश सही

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्थाओं का हवाला भी दिया और कहा कि क्रूरता का आकलन पति या पत्नी पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर किया जाना चाहिए. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट का आदेश सही है. ऐसे में पति की अपील खारिज की जाती है. कोर्ट ने कहा कि सास-ससुर की सेवा से इनकार करने भर को क्रूरता नहीं माना जा सकता. ऐसा तब तक नहीं माना जा सकता, जब तक घर के हालातों की रिपोर्ट और सही आकलन न हो जाए.

calender
19 August 2024, 08:46 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

Subscribe to Our YouTube Channel!

Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!