Speaker or PM: संसद सत्र के पहले दिन आज लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली. इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. ऐसे में उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम विरला तक को नहीं छोड़ा. राहुल ने कहा कि जब आप लोकसभा के स्पीकर चुने गए तो मैंने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आपसे हाथ मिलाया. जब मैंने आपसे हाथ मिलाया तो आप सीधे खड़े हुए थे लेकिन जब पीएम मोदी ने हाथ मिलाया तो आप थोड़ा झुक गए थे. इस पर अमित शाह ने बीच में बोलते हुए कहा कि यह आसन/चेयर के सामने आरोप लगा रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी के इस सवाल का जवाब देते हुए ओम बिरला ने कहा कि माननीय विपक्ष के नेता, प्रधानमंत्री इस सदन के नेता हैं और मुझे मेरी संस्कृति और संस्कार यह कहते हैं, व्यक्तिगत जीवन में भी, सार्वजनिक जीवन में भी और सदन के अंदर भी, जो हम से बड़े हैं उन्हें झुक कर नमस्कार करो. मुझे यही सिखाया है और बराबर वालों से बराबर का व्यवहार करो. यही मुझे सिखाया.
इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि मैं आपकी बात को स्वीकार करता हूं लेकिन इस हाउस में स्पीकर से बड़ा कोई नहीं होता. स्पीकर सबसे बड़ा है और हम सबको स्पीकर सामने झुकना चाहिए. ये लोकतंत्र है स्पीकर सर, आप इस हाउस के लीडर हैं आपको किसी के सामने नहीं झुकना चाहिए. ऐसे में राहुल गांधी के इस बयान के बाद सवाल ये उठता है कि लोकसभा में स्पीकर सबसे बड़ा होता है कि प्राधनमंत्री? आइए जानते हैं.
अक्सर हम में से कई लोगों को यह लगता है कि देश का सबसे ताकतवर इंसान प्रधानमंत्री होता है, तो संसद में भी पीएम का पद सबसे ऊंचा होगा. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. लोकसभा में सबसे शक्तिशाली पद स्पीकर का होता है. इसी वजह से जब कोई गठबंधन सरकार सत्ता में आती है तो हर पार्टी चाहती की लोकसभा में उसी का स्पीकर हो. हालांकि, स्पीकर सबसे मजबूत पद है. ऐसा लिखित रूप में कहीं दिया नहीं गया है. लेकिन उनके फैसले लेने की शक्तियां उन्हें सबसे ज्यादा सबसे मजबूत दिखाती है.
1- स्पीकर के कार्य की बात करें तो उनका काम लोकसभा के सत्रों की देखरेख करने के साथ सदस्यों के बीच अनुशासन और मर्यादा बनाए रखना है. इसके आलावा संसदीय बैठकों के लिए एजेंडा तय करना और संसद के स्थगन, अविश्वास और निंदा प्रस्ताव जैसे प्रस्तावों को अनुमति करना स्पीकर का काम है.
2- इसके अलावा अगर कोई सदन की मर्यादा का पालन नहीं करता तो स्पीकर के पास शक्ति होती है कि वह सदस्य को कुछ समय के लिए निलंबित कर सकता है या फिर उसे संसद से बाहर का रास्ता दिखा सकता है. वहीं संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत लोकसभा अध्यक्ष को अधिकार होता है कि दल बदल के आधार पर वह सदस्यों को अयोग्य ठहरा सके.
3-लोकसभा स्पीकर के पास सदन में समितियों के गठन का भी अधिकार होता है. ये समितियां स्पीकर के नेतृत्व में काम करती हैं. इसके साथ ही लोकसभा स्पीकर के पास यह भी शक्ति होती है कि वह सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक की अनुमति दे सकता है. इस गुप्त बैठक के दौरान स्पीकर की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति सदन में मौजूद नहीं हो सकता है. First Updated : Monday, 01 July 2024