संसद में सोमवार को पेश होगा One Nation, One Election बिल, जानें कब होंगे देश में एक साथ चुनाव

लोकसभा में 16 दिसंबर को वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश किया जाएगा. सरकार ने बिल का मसौदा लोकसभा सदस्यों को भेज दिया है. वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव से संविधान के अनुच्छेद 328 पर भी प्रभाव पड़ेगा, संविधान के अनुच्छेद 368(2) के अनुसार ऐसे संशोधन के लिए न्यूनतम 50% राज्यों के अनुमोदन की जरूरत होती है.

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लोकसभा में सोमवार (16 दिसंबर) को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए ‘द कंस्टीटूशन (129वां संशोधन) बिल पेश किया जाएगा. कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इस बिल को संसद में पेश करेंगे. वहीं, दिल्ली, जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी के लिए अलग से बिल पेश होगा. इस बिल की कॉपी सांसदों को सर्कुलेट कर दी गई है. विपक्ष लगातार एक देश एक चुनाव का विरोध करती आई है. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि लोकसभा में सोमवार को कार्यवाही हंगामेदार रहने वाली है.

आपको बता दें कि  मोदी कैबिनेट ने 12 दिसंबर को ‘एक देश एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दी थी. विधेयक में 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है.सरकार ने बिल का मसौदा लोकसभा सदस्यों को भेज दिया है. बिल के जरिए संविधान में 129वां संशोधन और दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश के कानून में बदलाव किया जाएगा. सरकार इससे जुड़े बिल को संसद में पेश करके संविधान के चार अनुच्छेद में संशोधन का प्रस्ताव करेगी. ये चार अनुच्छेद हैं 82A, 83, 172, 327.

सरकार इस बिल को पेश करने के बाद ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी यानी JPC को भी भेजना चाहती है. अगर JPC ने क्लियरेंस दे दी और संसद के दोनों सदनों से ये बिल पास हो गया, तो इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के साइन करते ही ये बिल कानून बन जाएगा. अगर ऐसा हो गया तो देशभर में 2029 तक एक साथ चुनाव होंगे.

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है?

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों.

सरकार क्यों चाहती है एक साथ चुनाव?

नवंबर 2020 में PM नरेंद्र मोदी ने कई मंचों पर 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर बात की है. उन्होंने कहा है, "एक देश एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं, बल्कि भारत की जरूरत है. हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे हैं. इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है. पूरे देश की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे चुनाव पर होने वाले खर्च में कमी आएगी.

इस बिल के विरोध में क्या तर्क दिए जा रहे हैं?

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विपक्ष कई तरह के तर्क दे रहा है. कांग्रेस का तर्क है कि एक साथ चुनाव हुए, तो वोटर्स के फैसले पर असर पड़ने की संभावना है. चुनाव 5 साल में एक बार होंगे, तो जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही कम हो जाएगी. 

देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश

भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का 2 सितंबर 2023 को गठन किया गया था. इसका मकसद एक साथ चुनाव कराने के लिए सिफारिशें करना. कोविंद समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें सौंपी थी, जिसमें लोकसभा और सभी विधायिकाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी.

कोविंद कमिटी ने पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराने की सिफारिश थी. उसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय के चुनाव कराने की सिफारिश की थी. इस समिति में रामनाथ कोविंद समेत आठ सदस्य थे. First Updated : Saturday, 14 December 2024