'न्यायपालिका के प्रति सम्मान सर्वोपरि है', सुप्रीम कोर्ट बनाम संसद विवाद में क्या है सरकार की राय?
सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ संबंधी सभी याचिकाओं पर उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत विचार करेगी. सूत्र ने कहा, "सभी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है. भारत संघ सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा."

न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका विवाद के बीच सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा है कि न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है और लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं. यह बयान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा नेताओं के एक वर्ग द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधने और शीर्ष न्यायाधीशों द्वारा इस पर ध्यान दिए जाने के बाद संतुलन बनाने की दिशा में उठाया गया कदम प्रतीत होता है.
सरकार के एक सूत्र ने बताया, "न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है. लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं. न्यायपालिका और विधायिका एक ही सिक्के के दो पहलू हैं." यह स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने के कुछ समय बाद आया है, जिसके कारण देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. लाल झंडियों के बाद, केंद्र ने नए कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है.
सभी को सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार है
सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ संबंधी सभी याचिकाओं पर उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत विचार करेगी. सूत्र ने कहा, "सभी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है. भारत संघ सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा."
वक्फ कानून पर छिड़ी रार
आपको बता दें कि गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सीजेआई पर निशाना साधते हुए कहा था कि देश में हो बढ़ रही अराजकता के पीछे सुप्रीम कोर्ट का हाथ है. दुबे ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद को बंद कर देना चाहिए. उनका यह बयान सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर चल रही सुनवाई के बीच आया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर रोक लगाने से इनकार तो कर दिया लेकिन कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है.
उपराष्ट्रपति ने की अलोचना
वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की है. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 का भी उल्लेख किया. इस अनुच्छेद के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह शक्ति दी गई है कि वह 'पूरे देश में लागू होने वाला निर्णय' ले सकता है, जिससे जनहित में प्रभावी न्याय हो सके. लेकिन उपराष्ट्रपति ने इस पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि, “कोर्ट के हाथ में अनुच्छेद 142 एक परमाणु जैसा हथियार बन गया है.” उन्होंने इस शक्तिशाली अनुच्छेद के इस्तेमाल को लेकर सावधानी बरतने की बात कही.


