'आतंकवादियों को नहीं मारा जाना चाहिए, बल्कि...' फारूक अब्दुल्ला के बयान से मचा सियासी बवाल, विपक्ष ने दी प्रतिक्रिया
Jammu Kashmir News: फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमलों के संदर्भ में एक सुझाव देकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को मारने के बजाय उन्हें पकड़कर उनसे पूछताछ करनी चाहिए ताकि हमलों के पीछे के मुख्य साजिशकर्ता का पता लगाया जा सके. उनके इस बयान को लेकर विपक्ष ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
Jammu Kashmir News: नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने आज यानी शनिवार को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमलों के संदर्भ में एक सुझाव देकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को मारने के बजाय उन्हें पकड़कर उनसे पूछताछ करनी चाहिए ताकि हमलों के पीछे के मुख्य साजिशकर्ता का पता लगाया जा सके. फारूक अब्दुल्ला ने बडगाम आतंकी हमले की भी जांच की मांग की और संदेह जताया कि यह उन लोगों द्वारा किया गया जो सरकार को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, 'हमें पता लगाना चाहिए कि यह कैसे हुआ. मुझे शक है कि ये हमले उन लोगों के द्वारा किए गए हैं जो सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं. अगर आतंकवादी पकड़े जाएं, तो हमें पता चलेगा कि इसके पीछे कौन है. उन्हें मारने के बजाय हमें उन्हें पकड़ना और पूछताछ करना चाहिए ताकि हम जांच कर सकें कि क्या कोई एजेंसी उमर अब्दुल्ला को कमजोर करने का प्रयास कर रही है.'
फारूक अब्दुल्ला ने क्या कहा?
इस बीच जब फारूक अब्दुल्ला से पूछा गया कि क्या जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए बडगाम आतंकी हमले सहित सभी हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना चाहिए, तो उन्होंने कहा, 'इस पर कोई सवाल नहीं है, इसकी जांच होनी चाहिए.' ऐसे में फारूक अब्दुल्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी-एससीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को अब्दुल्ला के बयान को गंभीरता से लेना चाहिए.
अब्दुल्ला के बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत: पवार
पवार ने महाराष्ट्र के बारामती में कहा, 'फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने अपना जीवन वहां के लोगों की सेवा में बिताया है. मुझे उनकी ईमानदारी और निष्ठा पर पूरा विश्वास है. अगर ऐसे नेता कोई बयान देते हैं, तो केंद्र सरकार, विशेष रूप से गृह मंत्रालय, को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और यह देखने की कोशिश करनी चाहिए कि स्थिति का समाधान कैसे किया जा सकता है.'
रविंदर रैना ने लगाया आरोप
इस बीच जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंदर रैना ने फारूक अब्दुल्ला पर सवाल उठाते हुए कहा, 'फारूक अब्दुल्ला को यह पता है कि आतंकवाद पाकिस्तान से आ रहा है, यह एक खुला सच है. इसमें जांच की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्हें पता है कि जम्मू-कश्मीर में जो आतंकवादी हमले हो रहे हैं, उनमें पाकिस्तान और उसके आतंकवादी संगठन शामिल हैं. हमें अपनी सेना, पुलिस और सुरक्षा बलों का समर्थन करना चाहिए और उन लोगों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा जो मानवता के दुश्मन हैं.
कविन्द्र गुप्ता ने हमले को बताया कायराना
वहीं इससे पहले, पूर्व उपमुख्यमंत्री कविन्द्र गुप्ता ने इस हमले को त्योहार के समय किया गया कायराना हमला बताया. उन्होंने कहा, 'यहां कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान के निर्देश पर काम कर रहे हैं. यह त्योहार के मौके पर किया गया एक कायरतापूर्ण हमला है. हमें उन लोगों की पहचान करने की जरूरत है जो इन हमलों को अंजाम दे रहे हैं. यहां बहुत से लोग ओवर ग्राउंड और अंडर ग्राउंड वर्कर के रूप में सक्रिय हैं.'
बडगाम में आतंकवादी हमला
जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में शुक्रवार शाम को आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के दो मजदूरों को गोली मार दी. यह घटना मागाम के मजहामा क्षेत्र में हुई, जहां सूफियान और उस्मान घायल हो गए. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, और उनकी हालत अब स्थिर है.
कश्मीर घाटी में हमलों की बढ़ती संख्या
यह हमला कश्मीर घाटी में हाल में बनी नई सरकार के बाद से पांचवां आतंकवादी हमला है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सहित कई नेताओं ने इस हमले की निंदा की. एनसी सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने पूछा कि 'हालिया चुनावों के बाद अचानक इन हमलों में वृद्धि क्यों हो रही है?'
राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने हमले की कड़ी निंदा की और इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया, साथ ही घायलों के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की. उनकी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने इसे कायरता का एक गंभीर उदाहरण करार दिया.
हाल ही में, 24 अक्टूबर को गुलमर्ग के पास सेना के वाहन पर हुए हमले में दो सैनिक और दो कुली मारे गए थे. इसके अलावा, पुलवामा जिले के त्राल इलाके में आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के मजदूर शुभम कुमार को गोली मारी, और 20 अक्टूबर को गंदेरबल में एक सुरंग निर्माण स्थल पर एक डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूरों की हत्या की गई थी. 18 अक्टूबर को शोपियां जिले में एक बिहार के मजदूर की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.