'सरकार सो रही है...', अमेरिकी टैरिफ से नौकरियां जाने का खतरा बढ़ा, सचिन पायलट ने केंद्र पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता सचिन पायलट आरोप लगाया कि सरकार सोई हुई है और ऐसा लगता है कि वह भारतीय हितों की बलि देने के लिए अमेरिकी दबाव में है. उन्होंने बताया कि कई यूरोपीय देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और वास्तव में, चीन डब्ल्यूटीओ में अमेरिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों ने भी इसी प्रकार के टैरिफ लगाने की बात कही है, जबकि कनाडा और मैक्सिको ने भी उच्च काउंटर टैरिफ लगाने का संकेत दिया है, लेकिन हमने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने को लेकर सरकार पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पिछली अमेरिका यात्रा के दौरान सिर्फ फोटो खिंचवाने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के बजाय टैरिफ पर समाधान निकालना चाहिए था. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व अमेरिका द्वारा लगाए गए पारस्परिक टैरिफ पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है, भारत सरकार केवल समय खरीद रही है और सब कुछ भाग्य पर छोड़ रही है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार जो बताया गया है उसे स्वीकार कर रही है और उसने कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी है.
लाखों लोगों की जा सकती है नौकरी
पायलट ने कहा कि मैं समझता हूं कि जब प्रधानमंत्री वाशिंगटन में थे और उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी, तो सिर्फ फोटो खिंचवाने और उपहारों का आदान-प्रदान करने के बजाय कुछ और रचनात्मक बात निकलकर सामने आनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि यदि हमारे संबंध उतने ही मजबूत होते, जितना दोनों नेता दावा कर रहे हैं, तो हमें इन भारी शुल्कों का सामना नहीं करना पड़ता. स्पष्ट रूप से हमारे निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा, विनिर्माण क्षेत्र में किसी भी तरह से गिरावट आई है, एमएसएमई को झटका लगेगा... अर्थव्यवस्था को छंटनी और नौकरी छूटने के कारण गंभीर तनाव का सामना करना पड़ेगा, लेकिन दुर्भाग्य से हमें पर्याप्त प्रतिक्रिया या इस स्थिति से निपटने के लिए कोई संकेत नहीं मिला है.
कांग्रेस नेता आरोप लगाया कि सरकार सोई हुई है और ऐसा लगता है कि वह भारतीय हितों की बलि देने के लिए अमेरिकी दबाव में है. उन्होंने बताया कि कई यूरोपीय देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और वास्तव में, चीन डब्ल्यूटीओ में अमेरिका के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों ने भी इसी प्रकार के टैरिफ लगाने की बात कही है, जबकि कनाडा और मैक्सिको ने भी उच्च काउंटर टैरिफ लगाने का संकेत दिया है, लेकिन हमने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
भारतीय हितों की रक्षा कैसे होगी?
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसलिए कोई नहीं जानता कि सरकार क्या करना चाहती है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि ये व्यापार युद्ध बड़ी समस्या उत्पन्न करने जा रहे हैं, चाहे वह महंगाई हो, मैन्युफैक्चरिंग हो या फिर प्रोडक्टविटी हो, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर सभी प्रभावित होंगे, लेकिन संसद सत्र में होने के बावजूद, हमने भारत सरकार की ओर से इस बारे में पर्याप्त प्रतिक्रिया या आश्वासन नहीं देखा है कि वह भारतीय हितों की रक्षा कैसे करेगी और यह चुप्पी अनिश्चितता को बढ़ा रही है.
आजादी के बाद से रिकॉर्ड बेरोजगारी है
इस मुद्दे से निपटने के लिए उचित रणनीति बनाने का आह्वान करते हुए पायलट ने कहा कि यदि टैरिफ प्रस्ताव विचाराधीन था, तो भारत सरकार को इस बारे में और अधिक रणनीतिक तरीके से संवाद करना चाहिए था तथा इससे निपटना चाहिए था. उन्होंने कहा कि हम मूलतः जो कुछ बताया गया है उसे स्वीकार कर रहे हैं और जबकि पूरी दुनिया प्रतिक्रिया कर रही है, हमने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उन्होंने कहा कि भारत अब विश्व भर में अधिक अंतरसंबंधित अर्थव्यवस्था है तथा अमेरिका के इस कदम का भारत पर विशेष प्रभाव पड़ेगा, विशेषकर ऐसे समय में जब यहां आजादी के बाद से रिकॉर्ड बेरोजगारी है.
अमीर-गरीब का अंतर ऐतिहासिक स्तर पर
पायलट ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय ऋण बोझ तेजी से बढ़ा है और जबकि हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, अमीर-गरीब का अंतर ऐतिहासिक स्तर पर है. हमारे श्रम बल का एक बड़ा हिस्सा व्यापार और निर्यात से संबंधित विनिर्माण में लगा हुआ है और उनमें से लाखों नौकरियां अनिश्चितता का सामना कर रही हैं, और फिर भी सरकार इन टैरिफ युद्धों के परिणामों से निपटने के लिए कोई रचनात्मक विचार लेकर सामने नहीं आई है.
राहुल गांधी के करीबी नेता ने कहा कि यह अनुमान लगाना कठिन है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के क्या परिणाम होंगे, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सरकार को यह जानते हुए बेहतर तैयारी करनी चाहिए थी कि ऐसा होने वाला है. कांग्रेस नेता ने कहा कि जहां तक वर्तमान आर्थिक परिदृश्य का सवाल है, अमेरिका का रणनीतिक साझेदार होने के बावजूद भारत को कोई लाभ नहीं हुआ है.
भारत के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका
अमेरिका ने भारत पर 27 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा करते हुए कहा है कि नई दिल्ली अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च आयात शुल्क लगाता है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य देश के व्यापार घाटे को कम करना और विनिर्माण को बढ़ावा देना है. इस कदम से अमेरिका को भारत के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है. राष्ट्रपति ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्कों का मुकाबला करने के लिए लगभग 60 देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की घोषणा की.
यह विधेयक संसद में क्यों लाया गया?
वक्फ एक्ट पर पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने संसद में अपना रुख बहुत स्पष्ट कर दिया है और विपक्ष इसका विरोध करने में एकजुट है. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इस विधेयक को संसद में किस कारण से लाया गया? इस विधेयक को लाने के पीछे जो इरादा है, वह वह नहीं है जो दावा किया जा रहा है. यदि कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें अनुपालन में चूक या विसंगतियों को ठीक करने की आवश्यकता है, तो उन्हें ठीक किया जा सकता था.
पायलट ने कहाकि जिस तरह से विधेयक लाया गया, वह भी इतनी जल्दबाजी में, राजनीतिक दलों, हितधारकों, सामुदायिक नेताओं सहित सभी पक्षों के भारी विरोध के बावजूद, इसका उद्देश्य इस देश में हिंदू और मुस्लिम तथा मंदिर और मस्जिद के बारे में एक और बहस शुरू करना, देश को विभाजित करना और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना था." उन्होंने कहा कि मणिपुर, बेरोजगारी, खाद्य महंगाई, हमारे क्षेत्र में चीनी घुसपैठ जैसे वास्तविक मुद्दों को स्वीकार करने और हल करने से बचना तथा अपने राजनीतिक और चुनावी एजेंडे के अनुरूप देश का ध्यान अत्यधिक विवादास्पद और ध्रुवीकरण मुद्दों की ओर मोड़ना भाजपा की पुरानी चाल है.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे पिछले सप्ताह संसद के दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद पारित किया गया था.