'जल्दबाजी में नहीं होगा फैसला', जाति जनगणना को लेकर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कही बड़ी बात

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या है और इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता, क्योंकि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कैबिनेट में क्या चर्चा होगी या रिपोर्ट में क्या है. अगर मुझे रिपोर्ट मिलती है तो मैं कुछ कह सकता हूं.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने रविवार को कहा कि सरकार 'जाति जनगणना' को लेकर कोई भी जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेगी. उन्होंने कहा कि कैबिनेट रिपोर्ट का अध्ययन करेगी और इस पर चर्चा करेगी और तथ्यों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा. कैबिनेट के समक्ष पेश किए जाने के तुरंत बाद से ही जाति जनगणना रिपोर्ट राज्य में चर्चा का विषय बन गई है. शिवकुमार ने रिपोर्ट के खिलाफ दिए जा रहे बयानों को 'राजनीतिक' भी करार दिया. तत्कालीन अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े के नेतृत्व में आयोग ने पिछले साल 29 फरवरी को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को रिपोर्ट सौंपी थी, जबकि समाज के कुछ वर्गों ने इस पर आपत्ति जताई थी और सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर से भी इसके खिलाफ आवाज उठ रही थी.

जल्दबाजी में नहीं होगा फैसला

शिवकुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बारे में बात की है. मैंने अभी तक रिपोर्ट नहीं देखी है क्योंकि मैं कल बेलगावी और मंगलुरु का दौरा कर रहा था. इस पर कैबिनेट में चर्चा होनी है. जाहिर है, मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस पर विधानसभा में भी चर्चा होगी. कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं होगा." उन्होंने कहा कि कुछ लोग जाति जनगणना बारे में राजनीतिक बयान दे रहे होंगे, लेकिन हम तथ्यों को समझेंगे और सभी के लिए न्याय करेंगे.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने टिप्पणी करने से किया इनकार   

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या है और इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता, क्योंकि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कैबिनेट में क्या चर्चा होगी या रिपोर्ट में क्या है. अगर मुझे रिपोर्ट मिलती है तो मैं कुछ कह सकता हूं. अगर 17 अप्रैल की कैबिनेट बैठक में कोई स्पष्ट निर्णय होता है तो मैं उस पर प्रतिक्रिया दे सकता हूं.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 2015 में किए गए सर्वेक्षण के तहत कवर किए गए कुल 5.98 करोड़ नागरिकों में से लगभग 70 प्रतिशत या 4.16 करोड़ विभिन्न ओबीसी श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं. आयोग ने ओबीसी कोटा को मौजूदा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की है.

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13 April 2025, 05:41 PM IST

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