PM मोदी-दिसानायके वार्ता के बाद श्रीलंका ने 14 भारतीय मछुआरों को रिहा किया...एक बड़ा कदम, दोनों देशों के रिश्ते सुधार की ओर
प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके की बैठक के बाद श्रीलंका ने 14 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया. इस फैसले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीदें बढ़ी हैं. जानिए कैसे मछुआरों के मुद्दे पर दोनों देशों ने मिलकर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का फैसला लिया और क्या कदम उठाए जा रहे हैं भविष्य में इस मुद्दे को सुलझाने के लिए!

Sri Lanka Releases Fishermen: श्रीलंका ने 14 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया है, यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के बीच कोलंबो में हुई द्विपक्षीय वार्ता के एक दिन बाद उठाया गया. दोनों देशों के बीच मछुआरों की गिरफ्तारी और उनकी नौकाओं की जब्ती का मामला लंबे समय से एक अहम मुद्दा रहा है और यह मुद्दा हाल ही में और भी ज्यादा चर्चा में आया था.
मछुआरों की रिहाई पर भारत का जोर
प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति दिसानायके के बीच बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने मछुआरों की तत्काल रिहाई और उनकी नावों की वापसी की मांग की थी. मोदी ने कहा, 'हमने इस मुद्दे पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को महसूस किया. यह एक ऐसा मुद्दा है जो मछुआरों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा है और हमें इसे हल करना चाहिए.'
प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त बयान में यह भी कहा कि मछुआरों और उनकी नौकाओं की तत्काल रिहाई पर जोर दिया गया था, और दोनों देशों के बीच इस मुद्दे को समझदारी और रचनात्मक तरीके से सुलझाने की आवश्यकता पर चर्चा की गई थी.
मछुआरों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मछुआरों के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच काफी विस्तार से चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मछुआरों की दैनिक समस्याओं को समझते हुए, हाल के दिनों में हुई कुछ कार्रवाइयों पर पुनर्विचार किया जा सकता है.' यह बयान यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को एक सकारात्मक और मानवीय दृष्टिकोण से हल करने के लिए सहमत हैं.
मिस्री ने यह भी बताया कि दोनों देशों ने मछुआरों के मामले में और अधिक बातचीत की आवश्यकता पर बल दिया है. इस बातचीत में मछुआरा संघ वार्ता के अगले दौर का आयोजन भी शामिल था, ताकि दोनों देशों के मछुआरों की समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान मिल सके.
क्यों है यह मुद्दा महत्वपूर्ण?
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों का मुद्दा एक संवेदनशील और लंबा चलने वाला विवाद रहा है. जब भी मछुआरे श्रीलंकाई जलक्षेत्र में प्रवेश करते हैं, उन्हें अक्सर गिरफ्तार कर लिया जाता है और उनकी नावें जब्त कर ली जाती हैं. यह मुद्दा दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का कारण बनता है, खासकर तब जब मछुआरों की रोज़ी-रोटी पर इसका असर पड़ता है.
अब, श्रीलंका द्वारा 14 भारतीय मछुआरों को रिहा किया जाना, दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों और सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है. यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि दोनों देश आपसी मतभेदों को सुलझाने के लिए तत्पर हैं खासकर जब बात मानवीय दृष्टिकोण की हो. अब दोनों देशों के बीच इस मुद्दे को लेकर और अधिक बातचीत और सहयोग की संभावना बनी हुई है. मछुआरों के मामले में संस्थागत चर्चा को तेज़ करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे विवादों को प्रभावी तरीके से हल किया जा सके. दोनों देशों के बीच मछुआरा संघ वार्ता के अगले दौर की योजना भी बनाई जा रही है जो इस मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने के लिए अहम हो सकती है.