Winter Session: UAPA के तहत 15 संगठनों को घोषित किया गया गैरकानूनी, गृह मंत्रालय ने संसद में दी जानकारी
Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि अब तक कुल 15 संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गैरकानूनी संघ घोषित किया गया है.
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन यानी की बुधवार, (6 दिसंबर) को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि अब तक कुल 15 संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गैरकानूनी संघ घोषित किया गया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इन सभी संगठनों को 2019 और 2023 के बीच यूएपीए, 1967 की धारा 3 के तहत गैरकानूनी संघ घोषित किया गया था.
इस सवाल के जवाब में मंत्री नित्यानंद राय ने संसद को बताया कि "2019 में 15 में से आठ को गैरकानूनी संघ घोषित किया गया था, 2020, 2021 और 2022 में एक-एक और इस साल अब तक चार को गैरकानूनी संघ घोषित किया गया था."
इन सभी संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया गया.
- स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी)
- यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा)
- नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी)
- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)
- यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ)
- मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए)
- पीपुल्स रिवोल्यूशनरी कंगलेइपक पार्टी
- कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल)
- ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ)
- नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी);
- हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी)
- लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई)
- नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग)
- इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ)
- जमात-ए-इस्लामी (जेईआई), जम्मू और कश्मीर
- सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे)
- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया
'यूएपीए कानून के कारण देश में कम हुए आतंकवादी मामले'
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने संसद में कहा कि यूएपीए अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत सभी हितधारकों द्वारा ठोस कार्रवाइयों के कारण देश में आतंकवाद से संबंधित अपराध को काफी हद तक रोकने पर सकारात्मक प्रभाव डाला है. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) व्यक्तियों और संघों की कुछ गैरकानूनी गतिविधियों की अधिक प्रभावी रोकथाम और आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए उपयोग किया जाता है.
इस अधिनियम के तहत गैरकानूनी गतिविधियों, गैरकानूनी संघों की सदस्यता के साथ-साथ ऐसे संघों के धन से निपटने, आतंकवादी कार्यों और आतंकवादी संगठनों के लिए धन जुटाने, आतंकवादी शिविरों का आयोजन करने, आतंकवाद की आय रखने, सदस्यता या समर्थन को अपराध माना जाता है.
व्यक्तिगत आतंकवादियों को नामित करने का अधिकार
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में 2019 में संशोधन की मुख्य विशेषताओं में भारतीय कानूनी प्रणाली के तहत व्यक्तिगत आतंकवादियों को नामित करना और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करना है. केंद्र सरकार को अब व्यक्तिगत आतंकवादियों को नामित करने का अधिकार दिया गया है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच किए गए मामलों में, एनआईए के महानिदेशक को जांच में तेजी लाने और ऐसी संपत्तियों में हेरफेर की संभावनाओं को रोकने के लिए आतंकवाद की आय का प्रतिनिधित्व करने वाली संपत्ति की जब्ती और कुर्की के लिए मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है.