International: इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने न केवल राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि इजरायल के श्रमिक बाजार में भी बड़े बदलावों का कारण बना है। फिलिस्तीनियों की कमी को पूरा करने के लिए अब बड़ी संख्या में भारतीय मजदूर इजरायल में काम करने पहुंचे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 16,000 भारतीयों ने पिछले साल इजरायल में प्रवेश किया और फिलिस्तीनी श्रमिकों की जगह ले ली। इस बदलाव का कारण मुख्य रूप से उच्च वेतन और बेहतर कार्य की स्थिति है, जो भारतीय मजदूरों के लिए आकर्षण का कारण बनी।
इजरायल में फिलिस्तीनी श्रमिकों की बड़ी संख्या थी, लेकिन हाल के युद्ध और संघर्षों के कारण इनकी अनुपस्थिति ने श्रम बाजार में एक बड़ी कमी पैदा कर दी थी। फिलिस्तीनियों के देश से बाहर जाने के कारण इजरायल को कामकाजी हाथों की सख्त जरूरत थी। ऐसे में भारतीय श्रमिकों को अपने देश से इजरायल बुलाया गया, जिन्होंने कामकाजी श्रम की कमी को दूर किया। निर्माण स्थलों पर अब हिंदी, हिब्रू और मंदारिन बोलने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ गई है। इनमें से एक प्रमुख नाम राजू निषाद का है, जो इजरायल के मध्य क्षेत्र के बीर याकोव में एक नए पड़ोस के निर्माण में कार्य कर रहे हैं।
राजू निषाद और अन्य भारतीय श्रमिक इजरायल के निर्माण उद्योग में एक महत्वपूर्ण बदलाव का हिस्सा बन चुके हैं। जहां पहले अरबी भाषी फिलिस्तीनी मजदूरों की बड़ी संख्या थी, वहीं अब वे भारतीय मजदूरों से बदल गए हैं। यह बदलाव इजरायल सरकार की पहल का हिस्सा है, जो फिलिस्तीनी श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए एक उपाय के रूप में भारतीय मजदूरों को लाने की कोशिश कर रही है।
गाजा में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष ने केवल राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है, बल्कि यह इजरायल के श्रमिक उद्योग में भी एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है। इजरायल में काम करने वाले फिलिस्तीनी श्रमिकों को सीमा पार करने से रोका गया है, जिससे निर्माण कार्यों में बाधाएं आई हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए भारतीय मजदूरों की नियुक्ति की गई है, जो अब इजरायल के निर्माण स्थलों पर कार्य कर रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहे हैं।
यह बदलाव न केवल इजरायल के श्रमिक उद्योग की तस्वीर को बदल रहा है, बल्कि यह इस बात को भी उजागर करता है कि युद्ध और संघर्ष के प्रभाव कहीं न कहीं पूरी दुनिया में महसूस किए जाते हैं। इजरायल में भारतीयों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि कैसे एक देश की आर्थिक स्थिति को अस्थिरता और राजनीतिक संघर्ष से प्रभावित किया जा सकता है, और इसको ठीक करने के लिए विदेशों से श्रमिकों का सहारा लिया जाता है।
कुल मिलाकर, इजरायल में भारतीय मजदूरों का आना एक बहुत बड़ा कदम है, जो न सिर्फ मजदूरों के लिए बेहतर अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह इजरायल की निर्माण उद्योग को भी तेजी से गति दे रहा है। इस बदलाव से इजरायल की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा। First Updated : Monday, 30 December 2024