गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को पांच साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित करने के केंद्र सरकार के फैसले की पुष्टि की. न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की अध्यक्षता में न्यायाधिकरण ने सबूतों को ठोस पाया, जिसमें SFJ द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, हथियारों की तस्करी, और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए विदेशी मंचों का इस्तेमाल शामिल है.
2019 से प्रतिबंधित SFJ की प्रतिबंध की अवधि अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दी गई है. दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस अनुप कुमार मेंदीरत्ता ने SFJ के खिलाफ पेश किए गए सबूतों को मजबूत मानते हुए यह फैसला दिया. ट्रिब्यूनल के अनुसार, SFJ के संबंध खालिस्तानी आतंकी जथेबंदियों बाब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तानी टाइगर फोर्स से साबित हुए हैं.
पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त इसके अलावा, SFJ पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से पंजाब में आतंकवाद फैलाने के आरोप हैं. इस संगठन ने पंजाब में विभाजन और हिंसा को फिर से जन्म देने की कोशिश की है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने SFJ की गतिविधियों को देश की अखंडता और शांति के लिए बड़ा खतरा बताया है.
SFJ का मुख्य उद्देश्य SFJ का मुख्य उद्देश्य खालिस्तानी नाम पर पंजाब को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना है. यह संगठन अक्सर अपने समर्थकों को हिंसक कदम उठाने के लिए उकसाता है. गृह मंत्रालय ने कहा कि SFJ की गतिविधियाँ न केवल कानून की उल्लंघना करती हैं, बल्कि देश के हितों पर भी सीधा हमला करती हैं.
पन्नू पर दर्ज मामलों की लंबी सूची SFJ के मुख्य नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू पर भारत में 12 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें पंजाब में देशद्रोह के तीन मामले शामिल हैं. 2020 में पन्नू को UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था. केंद्र सरकार ने SFJ से जुड़े कई वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनलों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.
सोशल मीडिया का दुरुपयोग पन्नू ने सोशल मीडिया का बुरी तरह से दुरुपयोग किया है. वह पंजाबी युवाओं को भ्रमित करने और उकसाने के लिए वीडियो और ऑडियो संदेश जारी करता है. अब तक वह पंजाब और हरियाणा की सरकारी इमारतों पर खालिस्तानी झंडे लगाने जैसी कई विवादित कार्रवाईयों को अंजाम दे चुका है. First Updated : Saturday, 04 January 2025