मध्य प्रदेश के कूनों नेशनल पार्क में पिछले दो महीने में छह चीतों की मौत हो गई है। भारत सरकार का प्रोजेक्ट चीता बाघों के बुरा साबित होता हो रहा है। दरअसल, 25 मई को कूनो नेशनल पार्क में दो चीता की मौत हो गई थी। जबकि एक चीते की मौत इससे पहले हो गई थी। एक चीते की हालात गंभीर होने की वजह से उसे निगरानी में रखा गया है।
अफ्रीकी देशों से भारत लाए गए छह चीतों की मौत अगल-अलग कारणों की वजह से हो चुकी है। अब तीन चीतों की मौत की वजह ज्यादा गर्मी होना बताया गया है। कुनो नेशनल पार्क के एक प्रेस नोट के मुताबिक, 23 मई मौसम को सबसे गर्म दिन रहा है। इस दिन का तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था और लू भी चल रही थी। इस वजह से चीते की तबियत बिगड़ गई और उन्हें निगरानी में रखा गया।
अफ्रीकी देश नामीबिया से भारत लाए गए चीतों में से एक साशा की किडनी से संबंधित बीमारी की वजह से 27 मार्च को मौत हो गई थी। बताया जाता है कि साशा नामीबिया में कैद के बीमारी की चपेट में आ गया था और भारत आने के बाद उसकी तबीयित और बिगड़ गई थी। बता दें कि चीतों को भारत लाने का मकसद देश में फिर से चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करना है।
भारत में दशकों से चीते विलुप्त हो रहे थे। 1950 के दशक में भारत ने चीते को विलुप्त घोषित कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि एक प्रयोग के तहत चीतों को भारत लाया गया। अगर यह प्रयोग फेल हो जाता है तो इससे सबक लिया जा सकता है। ताकि आने वाले समय में चीतों के लिए बेहतर इंतेजाम किए जा सके। भारत सरकार के प्रोजेक्ट चीता के तहत 16 चीते भारत लाए गए थे।
जानकारी के मुताबिक, दुनिया भर में चीतों की संख्या करीब 7,000 है। बताया जाता है कि इसमें से आधे से ज्यादा चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में मौजूद है। यह पहली बार नहीं है कि जब भारत में चीतों को लाया गया हो। इससे पहले 1970 के दशक में ईरान से भारत में चीते लाए गए थे। लेकिन चीतों को भारत में बसाने का यह प्रयोग सफल नहीं हुआ था। First Updated : Sunday, 28 May 2023