भारत में हवाई यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जनवरी से मई 2023 तक डोमेस्टिक उड़ानों में 6.36 करोड़ यात्रियों ने सफर किया है. 2022 की तुलना में डोमेस्टिक उड़ानों में इस साल 36.10 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. पिछले साल यानी 2022 में जनवरी से मई के बीच 4.67 करोड़ यात्रियों ने डोमेस्टिक उड़ान भरी थी. इन आंकड़ों से सुनकर पचा चलता है कि देश में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ी है. लेकिन यही आंकड़े देश की दूसरी हकीकत को बयान करते हैं, जिनको सुनकर आप खुश नहीं बल्कि दुखी हो जाएंगे. क्योंकि 142 करोड़ आबादी वाले देश भारत में केवल 5 फीसदी लोग ही हवाई सफर कर पाते हैं. मतलब देश के 95 फीसदी लोगों के लिए हवाई जहाज में सफर करना आज भी सपने जैसा है. क्योंकि देश की इतनी बड़ी आबादी के पास हवाई सफर करने के लिए पैसा ही नहीं है, जिनके पास है भी वो संसाधनों के अभाव के चलते हवाई सफर नहीं कर पाते.
साल 2018 के अनुमान के मुताबिक देश की केवल 4 से 5 फीसदी आबादी ही अब तक हवाई सफर कर पाई है. इसका मतलब यह है कि 95 फीसदी आबादी आज भी हवाई सफर से वंचित है. जबकि मौजूदा समय में देश में 35 से ज्यादा एयर ट्रांसपोर्ट कंपनियां सेवा देती हैं. फिर भी बहुत कम लोग हवाई जहाज में सफर कर पाते हैं. इसके पीछ महंगाई और गराबी मुख्य कारण है. दूसरा कारण एयरपोर्ट की कमी को ठहराया जा सकता है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में 2023 में प्रति व्यक्ति आय 98,340 रुपये सालाना मान ली जाए तो यह 8,150 रुपये महीने यह बैठती है. इतने कम पैसे में ग्राणीम इलाकों में परिवार तो चलाया जा सकता है, लेकिन शहरी इलाकों के परिवार चलाना मुश्किल काम है. महंगाई और अन्य जरूरतों के आगे इतनी आय वाला व्यक्ति हवाई जहाज में सफर करने के लिए सोच भी नहीं सकता.
दूसरी कारण है भारत में एयरपोर्ट की संख्या अभी जिला स्तर पर बहुत कम है, जिसके चलते वहां के पैसे वाले लोग की इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते. यहां सुविधा और संसाधनों का अभाव साफ दिखाई देता है. यहीं कारण है कि जिला स्तर के लोग सक्षम होते हुए भी हवाई सफर नहीं कर पाते. उनको हवाई सफर के निए योजना बनानी पड़ती है और समय के अभाव के कारण बहुत बार यह संभव नहीं हो पाता.
भारत में बहुत सारे प्रसिद्ध स्थान हैं, जहां लोगों का खूब आवागमन होता है, लेकिन वहां पर एयरपोर्ट के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है. एयरपोर्ट तक जाने या वहां से लौटने में सड़कें, रेलवे और पब्लिक व्हीकल्स आदि न होने की वजह से लोग हवाई यात्रा करने से बचते हैं.
देश में जिला स्तर पर बहुत स्थान अलग- अलग वजहों के पर्यटन का केंद्र बड़े हुए हैं. इन स्थानों पर आम दिनों में आने जाने वालों की खासी भीड़ रहती है. ऐसे स्थानों में या तो एयरपोर्ट नहीं और अगर इसक आसपास है भी तो राजनीतिक ईच्छा शक्ति न होने के कारण यहा विमानों के संचालन की अनुमति नहीं दी गई है. इसके चलके लोग हवाई यात्रा से महरूम रह जाते हैं.
भारत में कुल एयरस्पेस 30 लाख किमी है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से ज्यादा है. वहीं भारत में लंबी दूरी के लिए एवरेज हवाई किराया 4.7 रुपये प्रति किमी है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका से कम है. हालांकि इंडोनेशिया में औसत हवाई किराया 3 रुपये प्रति किमी है. भारत अपने पड़ोसी देशों से हवाई सफर मामले में सबसे आगे है. भारत का एविएशन बजट ज्यादा है, एयरस्पेस ज्यादा है और किराया भी कम है. फिर भी यहां हवाई यात्रियों की संख्या बहुत कम है.
1. भारत में विमान में इस्तेमाल होने वाले एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमत भारत में बहुत ज्यादा है. इससे एयरलाइंस की लागत की बढ़ती है और यात्रियों के लिए हवाई सफर महंगा हो जाता है. ATF की लागत कम करने के लिए सरकार को हवाई ईंधन पर लगने वाले टैक्स में कटौती करनी चाहिए या सब्सिडी देनी चाहिए.
2. भारत की आबादी के हिसाब से यहां एयरपोर्ट की संख्या बहुत कम है और कुछ एयरपोर्ट की क्षमता अभी भी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. यानी कि जितनी मांग है उतनी उड़ाने नहीं है. मतलब देश में एयरपोर्ट और प्लेन दोनों बढ़ाने की जरूरत है.
3. एयरपोर्ट की क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार को नए एयरपोर्ट का निर्माण और मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार करना चाहिए. साथ ही देश में नए एयरपोर्ट और मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए.
4. भारत में विकसित देशों की तुलना में टेक्नोलॉजी का स्तर कम है. इससे एयरलाइंस की सुरक्षा में कमी आ सकती है. यात्रियों की सुरक्षा और भी मजबूती करनी चाहिए, इसके लिए नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करना चाहिए. First Updated : Tuesday, 02 January 2024