भारत-अमेरिका दोस्ती को मिलेगी नई उड़ान! ट्रंप ने चुना 'चीन का कट्टर आलोचक' माइक वाल्ट्ज को NSA
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई टीम में माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) चुना है. वाल्ट्ज, जो चीन के कट्टर आलोचक और भारत के समर्थक माने जाते हैं, ट्रंप की सरकार में भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. अफगानिस्तान में सेवा दे चुके वाल्ट्ज, चीन से अमेरिका की सुरक्षा को लेकर हमेशा सख्त रहे हैं. उनकी ये नियुक्ति क्या अमेरिका और भारत के रिश्तों में नई ऊंचाई ला पाएगी? जानें पूरी खबर में!
India US Ties: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई टीम के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अपनी वापसी के बाद से ट्रंप ने कई अहम पदों पर नई नियुक्तियां की हैं. इसी क्रम में उन्होंने माइक वाल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) चुना है. माइक वाल्ट्ज को चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाले और भारत के समर्थक के रूप में जाना जाता है. आइए, जानते हैं माइक वाल्ट्ज और उनकी प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से.
कौन हैं माइक वाल्ट्ज?
माइक वाल्ट्ज एक रिटायर्ड आर्मी नेशनल गार्ड अधिकारी हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी है और सेना में अपने लंबे अनुभव के कारण वे अमेरिका की सुरक्षा रणनीतियों को लेकर गहरी समझ रखते हैं. NSA बनने के बाद वाल्ट्ज के जिम्मे रूस-यूक्रेन संघर्ष, इजरायल और हमास के बीच तनाव और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन से बढ़ती चुनौतियों जैसे बड़े मुद्दों पर नजर रखना होगा. इसके अलावा, वाल्ट्ज अमेरिका को सुरक्षित बनाने के ट्रंप के एजेंडे का भी पुरजोर समर्थन करते हैं और अफगानिस्तान से सेना वापसी के बाइडेन प्रशासन के फैसले की आलोचना भी कर चुके हैं.
इंडिया कॉकस के हेड के रूप में भारत के बड़े समर्थक
माइक वाल्ट्ज अमेरिकी कांग्रेस के इंडिया कॉकस के हेड हैं, जो अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करता है. इस कॉकस की शुरुआत 2004 में सीनेटर कॉर्निन और तत्कालीन सीनेटर हिलेरी क्लिंटन ने की थी. इसका उद्देश्य अमेरिका और भारत के साझा हितों पर संवाद बढ़ाना और दोनों देशों के नेताओं को एक मंच पर लाना है. वाल्ट्ज इस भूमिका में भारत-अमेरिका रिश्तों को गहरा करने के लिए काफी सक्रिय रहे हैं और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ भी गहरे संबंध रखते हैं.
चीन के कड़े आलोचक माइक वाल्ट्ज
वाल्ट्ज चीन के सख्त आलोचक माने जाते हैं. वे कोविड-19 की उत्पत्ति के मामले में चीन को जिम्मेदार ठहराने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हैं. उन्होंने 2022 शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करने की भी वकालत की थी, जो बीजिंग में आयोजित किए गए थे. वाल्ट्ज ने चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा भी कई बार उठाया है और इस बारे में चीन को खुले तौर पर घेरा है. इसके साथ ही वे रिपब्लिकन पार्टी के चाइना टास्क फोर्स में शामिल हैं, जो चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए अमेरिका की तैयारियों पर काम करता है. वाल्ट्ज का मानना है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका को चीन से बढ़ती चुनौतियों के लिए और अधिक तैयार रहना चाहिए.
ट्रंप की नई टीम में और भी प्रमुख नियुक्तियां
माइक वाल्ट्ज के साथ, ट्रंप ने अपने प्रशासन में कुछ और प्रमुख नियुक्तियां भी की हैं. राजनीतिक सलाहकार स्टीफन मिलर को नीति मामलों का उप प्रमुख चुना गया है, जबकि टॉम होमैन को 'बॉर्डर जार' (सीमा अधिकारी) नियुक्त किया गया है. होमैन का काम अवैध प्रवासियों को उनके मूल देशों में वापस भेजना होगा जो ट्रंप के एजेंडे का अहम हिस्सा है. होमैन के चयन से यह स्पष्ट है कि ट्रंप का प्रशासन सीमा सुरक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करेगा.
क्या यह भारत के लिए लाभदायक हो सकता है?
माइक वाल्ट्ज का NSA बनना भारत के लिए काफी सकारात्मक माना जा रहा है. वाल्ट्ज की चीन के प्रति कठोर नीतियां और अमेरिका-भारत संबंधों के प्रति उनका समर्थन भारत के लिए एक बेहतर सहयोग का संकेत हो सकता है. ट्रंप की टीम में ऐसे व्यक्ति का होना जो भारतीय हितों को समझता हो, निश्चित रूप से भारत-अमेरिका साझेदारी को नई ऊंचाईयों पर ले जा सकता है. कुल मिलाकर, माइक वाल्ट्ज की नियुक्ति से ट्रंप का प्रशासन भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने और चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के प्रति गंभीर नजर आ रहा है.