सात नटवरलाल और एक ठग: कुन्नीचंदू की लाखों की धोखाधड़ी की दास्तान

कुन्नीचंदू, जिसने संत बनकर लोगों से करोड़ों की ठगी की, हाल ही में गिरफ्तार हुआ. उसने एक चिट फंड कंपनी बनाई और निवेशकों को 18% रिटर्न का वादा किया. जब पैसे वापस मांगे गए तो वह गायब हो गया. अब पुलिस उसकी संपत्तियों की जांच कर रही है. पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें!

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New Delhi: आजकल ठगी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और एक ऐसी ही हैरान करने वाली कहानी सामने आई है. इसमें सात लोगों ने मिलकर एक चिट फंड कंपनी खोली और लोगों को 18% रिटर्न का झांसा देकर लाखों की ठगी कर डाली. इस धोखाधड़ी के पीछे का मुख्य आरोपी कुन्नीचंदू मेलाथ नायर है जिसने खुद को एक संत का शिष्य बताकर लोगों को ठगा. आइए इस कहानी को विस्तार से जानते हैं.

कुन्नीचंदू, जो 67 साल का है, कासरगोड के पेरुम्बाला गांव का निवासी है. वह पिछले 28 महीनों से पुलिस की नजरों से बचा हुआ था. हाल ही में, जब वह अपनी पत्नी से मिलने अपने गांव आया तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया. गिरफ्तारी के समय वह एक साधु की तरह रह रहा था जिससे उसकी पहचान और भी बढ़ गई थी.

कुन्नीचंदू की ठगी की कहानी 2004 में शुरू हुई. उसने वृंदा राजेश के साथ मिलकर 'सिग्सटेक मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड' नाम की कंपनी बनाई. शुरुआत में यह कंपनी एक एनजीओ के रूप में काम कर रही थी और LIC के लिए कॉर्पोरेट एजेंट भी थी. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीता, कंपनी ने मोटे रिटर्न का वादा कर निवेशकों से पैसे जुटाना शुरू किया.

लोगों की मेहनत की कमाई का दांव

अगस्त 2013 में, वृंदा ने 'सिग्स चिट्स प्राइवेट लिमिटेड' की स्थापना की और कुन्नीचंदू 2015 में इसके निदेशक बन गए. उन्होंने लोगों से यह कहकर पैसे जमा करवाए कि वे उन्हें अच्छे रिटर्न देंगे. कई लोग, जो अपनी मेहनत की कमाई से पैसे बचा रहे थे, उन्होंने 10,000 से लेकर 1 लाख रुपये तक की राशि जमा की. लेकिन जब 2018 में कंपनी बंद हो गई तो लोगों को अपनी रकम वापस मांगने में धोखा मिला.

शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ने लगीं और शुरू में 15 शिकायतों की संख्या अब सैकड़ों में पहुंच गई है. जब निवेशक पैसे मांगने लगे, तब कुन्नीचंदू और उसकी टीम गायब हो गई. इस मामले में पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया.

पुलिस की कार्रवाई

कुन्नीचंदू की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस उसकी संपत्तियों की जांच कर रही है. उसके खिलाफ 70 से अधिक मामलों में शिकायतें दर्ज हैं. मुख्य आरोपी वृंदा राजेश अभी भी फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है. कुन्नीचंदू की गिरफ्तारी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे अन्य फरार आरोपियों को पकड़ने में मदद मिल सकती है.

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि कैसे ठग लोगों की मेहनत की कमाई को आसानी से हड़प लेते हैं. कुन्नीचंदू की गिरफ्तारी से निवेशकों में न्याय की उम्मीद जगी है. अब देखने वाली बात यह है कि न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय लेता है और कब लोग अपनी मेहनत की कमाई वापस पा सकेंगे.

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने पैसे को सही जगह निवेश करने में सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि ऐसे ठगों के जाल में न फंसें. First Updated : Thursday, 24 October 2024