Abdul Karim Tunda: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) 1993 के सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट मामले में अजमेर की एक विशेष अदालत द्वारा अब्दुल करीम टुंडा को बरी किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. इस मामले में एजेंसी ने कहा कि अब तक 12 लोगों को दोषी ठहराया गया है. इसमें इरफान और हमीर- उल- उद्दीन भी शामिल है.
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सुरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए और टुंडा इन्ही मामलों में आरोपी था. टाडा कोर्ट ने टुंडा को बरी कर दिया और दो आतंकवादियों इरफान और हमीदुद्दीन में दोषी करार दिया गया. इन दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि वे फैसले का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की जाएगी. टाडा कोर्ट के आदेशों को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी जाती है. साल 1993 में 5 और 6 दिसंबर की मध्यरात्रि को कई क्षेत्रों राजधानी एक्सप्रेस सहित लंबी दूरी की छह रेलगाड़ियों में सिलसिलेवार विस्फोट हुए थे. विस्फोटों में दो लोग मारे गए थे और 22 अन्य घायल हुए थे.
टुंडा का जन्म सन 1943 में पुरानी दिल्ली के छत्तालाल मियां में हुआ. पिता का लोहे की ढलाई काम था. टुंडा की हरकतों को देखकर पिता ने पुरानी दिल्ली को छोड़ने का मन बनाया और गाजियाबाद जिले में पिलखुआ में बस गए. यहां टुंडा के भाइयों ने साथ बढ़ई का काम किया. उसकी शादी जरीना नामक महिला से हुई, टुंडा की गतिविधियां संदिग्ध थीं. First Updated : Friday, 01 March 2024