Aditya L1 mission: यह साल यानी 2023 देश की अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए काफी अहम होने वाला है, क्योंकि चंन्द्रयान-3 के बाद इसरो अब सूर्य मिशन की तैयारियों में जुट गया है. क्या है उसका सूर्य मिशन इसकी जानकारी हम आपको देंगे.

चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी कि इसरो अगले महीने सितंबर में सौर वातावरण का अध्ययन करने के लिए पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी PSLV रॉकेट पर अपना कोरोनोग्राफी उपग्रह आदित्य एल1 को भेजेगा. यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कहा है कि वो इसरो के सूर्य मिशन आदित्य L1 के लिए ट्रैकिंग सहायता देगी.

इसरो के सूर्य मिशन आदित्य L1 के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इसरो ने बताया कि आदित्य L1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट पहुंच चुका है. इसरो का कहना है कि सितंबर के पहले हफ्ते में आदित्य L1 की लॉन्चिंग हो सकती है. बता दें कि आदित्य L1 को इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में बनाया गया है, जहां से अब आदित्य L1 सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए श्रीहरिकोटा पहुंच चुकी है.

बता दें कि सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा जाना वाला यह इसरो का पहला मिशन है. आदित्य L1 को सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैंग्रेज पॉइंट के करीब हालो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित है. इसरो ने जानकारी दी कि L1 पॉइंट के नजदीक हालो ऑर्बिट में सैटेलाइट को स्थापित करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यहां से लगातार सूर्य पर नजर रखी जा सकती है और यहां सूर्य ग्रहण का भी असर नहीं होता. इससे सूरज की गतिविधियों और इनके अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण करने में बहुत फायदा होगा.

आदित्य L1 के साथ सात पैलोड भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. ये पैलोड सूरज की फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परत का अध्ययन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से करेंगे. इनमें से चार पैलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे और बाकी तीन पैलोड परिस्थितियों के हिसाब से पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेंगे.

इसरो ने बताया कि आदित्य L1 के पैलोड सूरज की कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों के बारे में और सूरज में होने वाली गतिविधियों के अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर के बारे में अहम जानकारी देंगे. आदित्य L1 मिशन के मकसद की बात करें तो ये सौर मंडल के ऊपरी वायुमंडल में गतिशीलता का अध्ययन करेगा.