Aditya-L1: अनंत आकाश की ओर आदित्य-एल1, इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए लैग्रेंज बिंदु ही क्यों चुना

Aditya L1 Launch: भारत का आदित्य-एल1 मिशन लैग्रेंज बिंदु (एल1) पर जाएगा. लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वह स्थान है जो दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले समस्त गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को निष्प्रभावी कर देता है.

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Solar Mission Aditya L1 Launch: भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 शनिवार को सफलापूर्वक लॉन्च हो गया है. सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज दोपहर 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लॉन्च किया है. आदित्य एल1 मिशन अगले पांच सालों तक सूर्य की हजारों तस्वीरें भेजेगा. इससे सूर्य का अध्ययन करने में आसानी होगी.  

आदित्य एल1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के का अध्ययन करना है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अब दुनिया की नजर भारत के सौर मिशन पर रहेगी. इस मिशन को लैग्रेंज बिंदु (एल1) पर भेजा जाएगा. अब सवाल है कि एल1 बिंदु पर ही इसरो इस मिशन को क्यों भेज रहा है? सूर्य का अध्ययन एल1 बिंदु ही क्यों चुना गया है?

क्या है आदित्य-एल 1? 

आदित्य एल1 एक सौर मिशन है जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है. इस यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा. जिसकी दूरी पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर है. आदित्य एल-1 सूर्य के कोरोना भाग यानी सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग की बनावट, इसके तापमान की प्रकिया, चुंबकीय क्षेत्र, उत्पत्ति, विकास, गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा.

लैग्रेंज बिंदु क्या है?  

लैग्रेंज बिंदु यानी एल1 अंतरिक्ष में वह स्थान होता है, जहां पर दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं. लैंग्रेंज बिंदु दो बड़े पिंडों (सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव का संतुलन बनाने में मदद करता है. अंतरिक्ष में पांच लैग्रेंज बिंदु है जिन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 कहा जाता है. 

लैगैंज बिंदु ही क्यों चुना? 

इसरो ने सूरज का अध्ययन करने के लिए लैग्रेंज बिंदु यानी एल1 का चयन किया है. ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि वहां कम ऊर्जा वाली कक्षाएं मौजूद है. साथ ही सूर्य-पृथ्वी प्रणाली का L1 बिंदु एक अंतरिक्ष यान को लगातार सूर्य का निरीक्षण करने की अनुमति भी देता है. First Updated : Saturday, 02 September 2023