AFSPA: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू और कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है. पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं." आइये समझते हैं कि AFSPA (Armed Forces Special Powers Act) क्या है और इसके हटने से जम्मू-कश्मीर के लोगों की जिंदगी पर कैसे असर पड़ेगा?
देश में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा हमेशा से बड़ा रहा है. कश्मीर की खूबसूरत वादियों के अलावा इसका जिक्र राजनीति में भी काफी होता है. हाल ही में अमित शाह ने कश्मीर को लेकर बयान दिया जिसके बाद से कश्मीर एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. हम बात कर रहे हैं AFSPA की, केंद्र सरकार अफ्स्पा का अशांती वाले इलाकों में इस्तेमाल करती है. इसमें सशस्त्र बालों को खास शक्तियां दी गई हैं.
इस कानून के तहत जरूरत के मुताबिक, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की पावर दी ई है. साफ तौर पर कहा जा सकता है कि सुरक्षाबलों को गिरफ्तारी के लिए किसी भी वारंट की जरूरत नहीं होगी. कश्मीर में इस कानून को तब लागू किया गया था जब 90 के दशक में आतंकवाद के मामले ज्यादा बढ़ रहे थे.
AFSPA को लेकर जम्मू कश्मीर लगातार विरोध होता रहा है. आम लोगों ने हमेशा इस खास अधिकार को हटाने की मांग की है. आम लोगों का कहना है कि इसकी वजह से कई बार फर्जी एंकाउंटर होते हैं और इसका दुरुपयोग किया जाता है.
जम्मू-कश्मीर पर शुरू से ही पाकिस्तान की नजर रही है, यहां पर कई बार घुसपैठ की कोशिशें भी होती हैं. राज्य में किसी तरह की अशांति ना फैले इसके लिए केंद्र ने यहां पर AFSPA कानून बनाया था. अगर इसको खत्म कर दिया जाता है तो राज्य के लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी राज्य पुलिस के पास आ जाएगी. अभी सेना के पास किसी भी घर की तलाशी लेने का सीधा अधिकार है. इस दौरान वो किसी भी घर में घुसकर तलाशी ले सकते हैं.
अगर ये कानून खत्म होता होता है तो सेना इस तरह से किसी के घर में नहीं घुस सकता, बिना सोचे समझे किसी पर गोली नहीं चलाई जाएगी. जैसा कि लोगों का कहना कि इससे फर्जी एनकाउंटर भी होते हैं, इससे उनमें भी कमी आएगी. First Updated : Friday, 29 March 2024