Balakot Air Strike: पुलवामा आतंकी हमले (2019) के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान ने भारतीय मिसाइल हमले के डर से सैन्य संकट को टालने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करने का प्रयास किया था. पाक में तत्कालीन भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने अपनी नवीनतम पुस्तक 'एंगर मैनेजमेंट: द ट्रबल्ड डिप्लोमैटिक रिलेशनशिप बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान' में दावा किया है कि पाकिस्तान के पास उन नौ मिसाइलों के बारे में विश्वसनीय जानकारी थी जिन्हें भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र में लॉन्च करने के लिए तैयार किया था.
अजय बिसारिया की एक नई किताब के अनुसार, भारत से रुकने के लिए कहा गया था, क्योंकि यह आक्रामकता का एक अभूतपूर्व कार्य था और खुले युद्ध के समान कार्रवाई थी. जबकि भारतीय मिसाइल हमले की आशंका से डरे हुए इमरान खान ने सभी उपाय किए और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आधी रात को पीएम मोदी से फोन कर बात करने का अनुरोध किया था. कॉल करने की व्यवस्था तत्कालीन पाकिस्तानी उच्चायुक्त सोहेल महमूद ने की थी, जिन्होंने दिल्ली में बैठे अपने लोगों से संपर्क साधा और कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान पीएम मोदी से बात करने के इच्छुक हैं. मैंने ऊपर जाकर देखा और जवाब दिया कि हमारे प्रधानमंत्री उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन अगर इमरान खान को कोई जरूरी संदेश देना है, तो वह निश्चित रूप से मुझे बता सकते हैं. बसरिया ने कहा कि मुझे उस रात कोई कॉल नहीं आया.
26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायु सेना द्वारा किए गए बालाकोट हवाई हमले के एक दिन बाद ये घटनाएँ सामने आईं. ये हमला 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय बलों पर हुए आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में था. पुस्तक में कहा गया है कि दिल्ली में अमेरिका और ब्रिटेन के राजदूत रातों-रात भारत के विदेश सचिव के पास वापस आए और दावा किया कि पाकिस्तान अब स्थिति को कम करने, भारत के दस्तावेज़ पर कार्रवाई करने और आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से संबोधित करने के लिए तैयार है.
बिसारिया आगे कहते हैं कि अगले दिन, हमें ब्रेकिंग न्यूज मिली कि खान ने कहा था कि पाकिस्तान "शांति संकेत" के रूप में, भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को वापस भेज देगा, जिन्हें उनके विमान के पाकिस्तानी क्षेत्र में गिरने के बाद पकड़ लिया गया था. बिसारिया ने भारतीय पायलट की रिहाई को भारत की ''जबरदस्ती कूटनीति'' का परिणाम बताया. किताब में कहा गया है ति भारत की आक्रामक कूटनीति प्रभावी रही थी, भारत की पाकिस्तान और दुनिया से अपेक्षाएं स्पष्ट थीं, संकट को बढ़ाने के लिए एक विश्वसनीय संकल्प का समर्थन किया था. First Updated : Tuesday, 09 January 2024