India Samudrayaan Project Matsy 6000: चांद और सूरज पर फतेह हासिल करने के बाद अब भारत समुद्र की गहराई नापने के लिए 'समुद्रयान' मिशन की तैयारी में लगा हुआ है. 2024 में मानव को गहरे सागर में भेजने के लिए मिशन 'समुद्रयान' (Samudrayaan Mission) का पहला परीक्षण किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य 6000 समुद्रयात्री को बैठाकर सागर में छह किलोमीटर की गहराई में ले जाएंगी. इस मिशन का मकसद समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों को जानना है.
गौतरलब हो कि भारत के मिशन चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है. साथ ही चांद पर ऑक्सीजन को खोज निकाला है. मिशन चंद्रयान की सफलता के कुछ दिनों बाद ही भारत ने सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए आदित्य एल1 (Aditya L1) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. आदित्य एल1 भारत का पहला सूर्य मिशन है. जो सूरज की यात्रा पर है और लगतार सूर्य के ओर बढ़ता ही जा रहा है. इन दोनों मिशन के बाद अब भारत समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए 'समुद्रयान' मिशन की तैयारी में जुट गया है.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर वीडियो शेयर कर लिखा, "अब समुद्रयान की बारी. पनडुब्बी मत्स्य 6000 चेन्नई में राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) में बनाया गया है. गहरे समुद्र में भारत के पहले मानव मिशन समुद्रयान के तहत समुद्र में छह किलोमीटर की गहराई में तीन समुद्रयात्रियों को भेजने की तैयारी है."
स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य 6000 25 टन वजनी है. जिसकी लंबाई 9 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर है. NIOT के निदेशक जीए रामदास ने बताया कि मत्स्य 6000 के लिए 2.1 मीटर व्यास का गोला विकसित किया है, जो तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई में लेकर जाएगा. पनडुब्बी में 96 घंटे तक ऑक्सीजन की सप्लाई उपलब्ध रहेगी. मत्स्य 6000 का मकसद समुद्र की गहराई में निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स की तलाश करना है. इसके अलावा समुद्र में कम तापमान वाले मीथेन रिसने में कीमोसिंथेटिक जैव विविधता की जांच करना है. First Updated : Tuesday, 12 September 2023