"अब हमारा ही नुकसान होगा," पाकिस्तानी प्रोफेसर ने आसिम मुनीर के बयान पर उठाए सवाल
पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में पाकिस्तानी मूल के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि जनरल मुनीर के हिंदू और मुस्लिम के बीच भेदभाव करने वाले बयान के ठीक एक सप्ताह बाद ही आतंकवादियों ने हमला कर दिया, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या इन बयानों का इससे कोई संबंध था.

पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में पाकिस्तानी मूल के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि जनरल मुनीर के हिंदू और मुस्लिम को अलग करने वाले बयान के बाद आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया. प्रोफेसर ने यह सवाल उठाया कि क्या आसिम मुनीर के बयान के बाद ही आतंकवादियों ने यह हमला किया, क्योंकि हमलावरों ने शिकार से पहले यह जांचा कि वे हिंदू हैं या मुस्लिम. इश्तियाक अहमद के अनुसार, सेना प्रमुख को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था, जो समाज में असहमति और विभाजन को बढ़ावा दे.
इश्तियाक अहमद ने सिंधु जल समझौते पर की बात
इसके अलावा, इश्तियाक अहमद ने सिंधु जल समझौते के बारे में भी बात की. उन्होंने याद दिलाया कि 1960 में हुआ यह समझौता दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण था, खासकर पाकिस्तान के लिए, क्योंकि विभाजन के बाद कई प्रमुख नहरें और नदियां भारत के हिस्से में आ गई थीं. भारत के पक्ष में कई अंतरराष्ट्रीय ताकतें थीं, लेकिन फिर भी भारत ने इस समझौते को मंजूरी दी, जिसे उन्होंने भारत की महानता के रूप में देखा. इसके बावजूद, तीन से चार युद्धों के बावजूद, इस समझौते को कभी छेड़ा नहीं गया. प्रोफेसर अहमद ने कहा कि नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान दौरे के बाद पठानकोट हमले ने भारत को यह तय करने पर मजबूर किया कि पाकिस्तान को अब बख्शा नहीं जाएगा.
उन्होंने सिंधु जल समझौते की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें बताया कि यह समझौता वर्ल्ड बैंक द्वारा कराए गए एक हस्तक्षेप के तहत हुआ था. इसके तहत पाकिस्तान को पांच प्रमुख नदियों की जल आपूर्ति मिलती है. भारत ने कभी भी इन नदियों के प्रवाह को रोकने का प्रयास नहीं किया. हालांकि, इस समझौते को लेकर भारत की आलोचना भी होती रही है, लेकिन पाकिस्तान के सेना प्रमुख द्वारा दिए गए बयानों के कारण स्थिति और भी जटिल हो गई है.
अंदरूनी हालात सुधारने की आवश्यकता
इश्तियाक अहमद ने पाकिस्तान के अंदरूनी हालात सुधारने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान को खुद के आंतरिक मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए. उन्होंने पाकिस्तान की सेना और सरकार से अपील की कि वे विभाजन और द्विराष्ट्र सिद्धांत से संबंधित बयानबाजी से बचें. प्रोफेसर ने यह भी बताया कि 1947 से पहले भारत में किसी भी प्रकार का सांप्रदायिक विभाजन नहीं था और विभाजन से आज तक किसी को फायदा नहीं हुआ.


