Personal Law Board: मुस्लिम महिलाओं को पिता की संपत्ति में हिस्सा दिलाने के लिए चलेगा अभियान, AIMPLB ने लिया फैसला
Personal Law Board: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम महिलाओं को उनके पिता की संपत्ति में हिस्सा दिलाने के लिए एक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है.
हाइलाइट
- महिलाओं को पिता की संपत्ती में दिलाएंगे हिस्सा-AIMPLB
- पैतृक संपत्ति में से 25 फीसद पर बेटी का अधिकार
Personal Law Board: बोर्ड ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि उसके कई मेम्बर्स का मानना है कि 'शरिया कानून महिलाओं को विरासत में एक निश्चित हिस्सा देता है, लेकिन कई मामलों में उन्हें यह हिस्सा नहीं मिलता है. इसी तरह, उन्हें अक्सर अपने बेटों या पतियों की संपत्ति में हिस्सेदारी से भी वंचित कर दिया जाता है. महिलाओं को हिस्सा दिलाने के लिए आंदोलन चलाया जाएगा.
एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता के अनुसार, 'बोर्ड ने इन मामलों पर ध्यान दिया और फैसला किया कि समाज के अंदर सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.'
औरतों को पिता की जायदाद में मिलेगा हिस्सा?
अक्सर देखा जाता है कि पिता की संपत्ती में में सिर्फ बेटे को ही हिस्सा दिया जाता है. इसमें से औरतों को वंचित कर दिया जाता है. इसके लिए एआईएमपीएलबी की बैठक में एक फैसला लिया गया. जिसमें कहा गया कि महिलाओं को उनके पिता की संपत्ति में हिस्सा मिले इसके लिए एक व्यवस्थित आंदोलन शुरू करने का फैसला किया गया है.
एआईएमपीएलबी ने लिया बड़ा फैसला
एआईएमपीएलबी के कई मेम्बर्स का मानना है कि शरिया कानून महिलाओं को विरासत में एक निश्चित हिस्सा दिया जाता है, लेकिन कई जगहों पर उनको इसे वंचित रखा जाता है. इसके लिए बोर्ड ने फैसला किया है कि महिलाओं को उनका हक दिलाया जाएगा.
महिलाओं की विरासत के मामले को देखने का एआईएमपीएलबी का निर्णय ऐसे समय में आया है जब केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वक्फ संपत्तियों के विवाद के मामलों में तेजी लाने के लिए संभावित उपकरणों पर गौर करना शुरू कर दिया है.
संपत्ति पर 25 फीसद बेटी का हक
रविवार को दिल्ली के निजामुद्दीन में हुई बोर्ड की इस बैठक में महिलाओं से संबंधित परेशानियों के बारे में बात की गई. जिसमें 'महिलाओं के शोषण, भ्रूण हत्या, दहेज व घरेलू हिंसा पर भी चिंता जाहिर की गई है. समान नागरिक संहिता में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार की मांग भी एक बड़ा मुद्दा है, जबकि शरिया कानून के अनुसार मुस्लिम समाज में पैतृक संपत्ति में से 25 फीसद पर ही बेटी का अधिकार दिया गया है.