Air Pollution: सर्दियों का मौसम जैसे ही नजदीक आता है प्रदूषण का डर भी सताने लगता है. नवंबर महीने के शुरू होने से ठीक पहले ही प्रदूषण के कारण कई महानगरों की हवा में घुटन होना शुरू हो गई है. इसी के साथ शुरू हो गया है सिलसिला प्रदूषण से संबंधित खबरों का, जिसमें AQI और PM lavel जैसे तकनीकि शब्दों का प्रयोग होता है. इस स्टोरी में आप प्रदूषण के पूरे गणित को आसान भाषा में समझने वाले हैं. इसी के साथ दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में दमघोंटू प्रदूषण के प्रकोप, कारण, रिसर्चेस और बचाव आदि को भी जानेंगे.
AQI क्या है और कब से हुई इसकी शुरुआत?
Air Quality Index (AQI) को हिंदी में वायु गुणवत्ता सूचकांक कहा जाता है. यह एक ऐसा नंबर है जो वायु प्रदूषण के लेवल को बताता है. एक्यूआई के ज्यादा होने का मतलब है कि शहर में प्रदूषण ज्यादा है. बता दें कि इसकी शुरुआत भारत में मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज द्वारा गी गई है. वायु गुणवत्ता को अब दुनिया के हर देश में मापा जाता है हालांकि इसका तरीका अलग-अलग है.
सर्दियों में क्यों बढ़ता है प्रदूषण?
ऐसा नहीं है कि प्रदूषण सिर्फ सर्दी के मौसम में ही होता है. यह अलग-अलग कारणों से साल भर होता रहता है लेकिन सर्दी के मौसम में इसका प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है. सर्दियों में ठंडी हवा में ज्यादा मूवमेंट नहीं होती और वह लगभग स्थिर अवस्था में रहती है, जिससे हवा वायुमंडल में नीचे रहती है. हवा के कणों में ही प्रदूषण के कण भी मिल जाते हैं जिससे इस मौसम में प्रदूषण ज्यादा बढ़ जाता है.
इन कारणों से होता है प्रदूषण
वैसे तो जिस चीज से भी धुआँ हो रहा है वह प्रदूषण का कारक ही है लेकिन दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में यह बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. हाई ट्रैफिक वाला शहर होने की वजह से यहां गाड़ियों से भी खूब प्रदूषण होता है. इसके पीछे सरकारों की तरफ से जो दूसरा सबसे बड़ा कारण बताया जाता है वह है पड़ोसी राज्यों से आने वाला पराली का धुंआ.
6 कैटेगरी में बाटा गया है AQI
भारत में एक्यूआई को स्तर और रीडिंग के हिसाब से 6 श्रेणियों में बाटा गया है जो इस प्रकार हैं....
⦁ देश में AQI को स्तर और रीडिंग के हिसाब से 06 कैटेगरी में बांटा गया है.
⦁ 0-50 के बीच AQI का मतलब अच्छा यानि वायु शुद्ध है
⦁ 51-100 के बीच मतलब वायु की शुद्धता संतोषजनक
⦁ 101-200 के बीच ‘मध्यम
⦁ 201-300 के बीच ‘खराब’
⦁ 301-400 के बीच बेहद खराब
⦁ 401 से 500 के बीच गंभीर श्रेणी
PM Level किसे कहते हैं?
PM Level का मतलब हवा में मिले धूल के कणों से होता है जो सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचते हैं, पीएम धूल, धुएं आदि के कणों को दर्शाता है. इसी प्रकार AQI को 08 प्रदूषण कारकों के आधार पर तय करते हैं. ये PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, और NH3 Pb होते हैं. 24 घंटे में इन कारकों की मात्रा ही हवा की गुणवत्ता तय करती है.
क्यों बढ़ जाती है धुंध?
हवा में जब प्रदूषण के कण मिल जाते हैं तो उसका घनत्व बढ़ जाता है जिसकी वजह से विजिबिलिटी कम हो जाती है. हवा में पीएम 2.5 का लेवल बढ़ जाने पर धुंध बढ़ता है. इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रक्शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है.
वायु प्रदूषण के नुकसान
वायु प्रदूषण के हानिकारक परिणाम देखने को मिलते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ने लगती है. जब हम सांस लेते हैं तो प्रदूषण के कणों को रोकने के लिए हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं होता ऐसे में पीएम 2.5 हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंच जाता है. ये बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. बताया जाता है कि इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है. खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है. लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.
क्या दिवाली बनती है प्रदूषण का कारण?
आपने देखा होगा कि दिवाली को प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बताया जाता है. बता दें कि पटाखों और आतिशबाजी से होने वाला धुआं प्रदूषण का कारण बनता है. हवा में कार्बिन आक्साइड और सल्फर आक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे प्रदूषण का स्तर ऊपर चला जाता है. हालांकि, पहले से दूषित हुई हवा में पटाखे मिल कर इसे हानिकारक बनाते हैं. यदि हवा पहले से साफ रहे तो दिवाली के पटाखों का असर समझ नहीं आएगा.
दिल्ली प्रदूषण पर रिसर्चेस कर रहीं हैरान
दिल्ली देश की राजधानी होने के नाते विशेष महत्व रखती है लेकिन इस पर सबसे बड़ा धब्बा प्रदूषण का लगा हुआ है. इसी साल शिकागो यूनिवर्सिटी के ऊर्ज नीति संस्था द्वारा वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) पर शोध पत्र जारी किया गया है. इस रिसर्च में राजधानी दिल्ली के लिए जो कुछ भी बताया गया है वह बेहद हैरान करने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण है. बताया गया कि दिल्ली देश का सबसे प्रदुषित शहर है. जो लोग दिल्ली में रह रहे हैं और इस प्रदूषण में सास ले रहे हैं उनका जीवन अवसतन करीब 12 साल कम हो रहा है.
दिल्ली की घनी आबादी भी प्रदूषण का कारण
रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में प्रदूषण बढ़ने के पीछे घनी आबादी और जलवायु परिवर्तन भी महत्वपूर्ण कारण है. दिल्ली में कम स्थान में एक बड़ी आबादी निवास करती है. मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि राजधानी में वायु प्रदूषण होने की मुख्य वजह जनसंख्या घनत्व है. दिल्ली में देश के दूसरे शहरों के मुकाबले, आबादी का घनत्व तीन गुना अधिक है. First Updated : Saturday, 21 October 2023