अकबरुद्दीन ओवैसी के फिर बिगड़े बोल 'चाहे चाय वाले हों या गांधी, सबको खामोश कर दूंगा'

कहते हैं की तलवार का दिया हुआ घाव भर जाता है लेकिन जुबान का दिया हुआ घाव कभी नहीं भरता लेकिन यह बात हमारे नेताओं को भला समझाएं कौन??

कहते हैं की तलवार का दिया हुआ घाव भर जाता है लेकिन जुबान का दिया हुआ घाव कभी नहीं भरता लेकिन यह बात हमारे नेताओं को भला समझाएं कौन??

भारतीय राजनीति में वैसे तो हर राजनीतिक पार्टी और नेता राजनीतिक सुचिता, सद्भावना की बात अनेक मंचों से कहते रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि जो सीख मंचों से ज्यादातर नेता दूसरों को देते रहे हैं कई मौके ऐसे रहे जब वह खुद ही अपने दी गई सीख को भूलकर विवादों का कारण बन गए.
 

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